वापस लिए गए वाहनों की बिक्री पर VAT लागू: दिल्ली हाईकोर्ट

Update: 2023-12-14 05:29 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने माना कि वापस लिए गए वाहनों की बिक्री मूल्य वर्धित कर (VAT) के शुल्क के अधीन है।

जस्टिस विभू बाखरू और जस्टिस अमित महाजन की खंडपीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता को नोटिस जारी किए गए, जो वापस लिए गए वाहनों की बिक्री पर वैट की मांग कर रहे हैं, न कि प्रारंभिक खरीद पर वाहनों के वित्तपोषण के लेनदेन पर।

याचिकाकर्ता/करदाता, इंडसइंड बैंक, अनुसूचित बैंक है और इसकी चुनौती इस आधार पर है कि 'डीलर' शब्द की विस्तृत परिभाषा DVAT Act के उद्देश्य के खिलाफ है। याचिकाकर्ता ने 'डीलर' शब्द की परिभाषा को भारत के संविधान के अनुच्छेद 265 के अधिकारातीत होने के रूप में चुनौती दी।

याचिकाकर्ता DVAT Act की धारा 32 और 33 के तहत कर, ब्याज और जुर्माना वसूलने के लिए जारी किए गए नोटिस से व्यथित था। दोबारा कब्जे में लिए गए वाहनों की बिक्री के संबंध में एक डीलर के रूप में याचिकाकर्ता पर मूल्य वर्धित कर (VAT) की देनदारी लगाते हुए नोटिस जारी किए गए।

याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि वह अपने द्वारा वापस लिए गए किसी भी वाहन में कोई मूल्य जोड़ने में शामिल नहीं है। यह केवल अपना बकाया वसूलने के उद्देश्य से उधारकर्ता की ओर से इसे बेचने में लगा हुआ है। पुनः कब्जे में लिए गए वाहनों की बिक्री पर VAT लगाना एक कर लगाने के समान होगा, जो किसी भी मूल्यवर्धन पर आधारित नहीं है।

अदालत ने यह मानने से इनकार कर दिया कि 'डीलर' शब्द की परिभाषा भारत के संविधान के अनुरूप नहीं है। भारत के संविधान का अनुच्छेद 265 केवल यह प्रावधान करता है कि कानून के अधिकार के बिना कोई कर नहीं लगाया जाएगा। DVAT Act एक अधिनियमित कानून है, और इसमें कोई विवाद नहीं है कि एकत्र किया जाने वाला कर उक्त कानून के अनुसार है।

इस प्रकार, इस आधार पर कोई भी चुनौती कि डीलर की परिभाषा भारत के संविधान के दायरे से बाहर है, भारत के संविधान के किसी भी अन्य प्रावधान के समान उल्लंघन के आधार पर कायम रहना होगा।

कोर्ट ने बैंक की ओर से दायर याचिका खारिज कर दी।

याचिकाकर्ता के वकील: गुंजन कुमार और प्रतिवादी के वकील: धनंजय मिश्रा

केस टाइटल: इंडसइंड बैंक लिमिटेड बनाम व्यापार एवं कर विभाग, एनसीटी दिल्ली सरकार

केस नंबर: W.P.(C) 3799/2019

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