उत्तराखंड हाईकोर्ट ने मसूरी में पर्यावरण कानूनों को सही तरीके से लागू करने की मांग वाली याचिका पर नोटिस जारी किया
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने मसूरी में बिगड़ती पर्यावरणीय परिस्थितियों के बारे में चिंता जताते हुए जनहित याचिका पर राज्य सरकार, केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण को नोटिस जारी किया।
चीफ जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने कहा कि प्रतिवादी अधिकारियों को याचिकाकर्ता द्वारा याचिका में लगाए गए विशिष्ट आरोपों से निपटना चाहिए।
अदालत ने कहा,
"अगर संबंधित प्रतिवादियों द्वारा याचिकाकर्ता की दलीलों में कोई योग्यता पाई जाती है तो हम उनसे अपेक्षित और सुधारात्मक कदम उठाने की उम्मीद करते हैं।"
बायो-मेडिकल के संबंध में जल (प्रदूषण नियंत्रण रोकथाम) अधिनियम, पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 और उसके तहत मसूरी में अपशिष्ट प्रबंधन, निर्माण और विध्वंस अपशिष्ट प्रबंधन, ई-कचरा (प्रबंधन), और खतरनाक और अन्य अपशिष्ट (प्रबंधन और सीमा पार आंदोलन) में बनाए गए नियमों के अनुपालन के लिए दिशा-निर्देश मांगने के लिए वकील और पर्यावरणविद् आकाश वशिष्ठ द्वारा रिट याचिका दायर की गई।
वशिष्ठ ने याचिका में कहा कि मसूरी ने हाल के वर्षों में दिल्ली, अंबाला और चंडीगढ़ से अपनी निकटता के कारण होटल और पर्यटक लॉज के बेलगाम निर्माण को देखा। उन्होंने आरोप लगाया कि खासकर गर्मियों के पर्यटन सीजन के दौरान शहर अब अपशिष्ट प्रबंधन, पानी की कमी, बड़े पैमाने पर अपशिष्ट जल उत्पादन, सीवेज के खुले निर्वहन और हरियाली में कमी की गंभीर समस्याओं से पीड़ित है।
याचिका में नगर पालिका परिषद के अनुच्छेद 243 डब्ल्यू के तहत और साथ ही उत्तर प्रदेश नगरपालिका अधिनियम की धारा 7 के तहत अपने संवैधानिक दायित्वों के निर्वहन में विफलता के बारे में भी चिंता जताई गई। इसमें 1989 की दून वैली अधिसूचना का पालन न करने का भी आरोप लगाया गया।
याचिका के अनुसार,
"पिछले 11 वर्षों में नगर पालिका परिषद मसूरी में एक भी वृक्षारोपण करने में विफल रही है। नगर पालिका परिषद द्वारा मसूरी में एक भी पौधा नहीं लगाया गया।"
चूंकि मसूरी नगर पालिका परिषद प्रतिवादी पक्षकार के रूप में पक्षकार नहीं है, याचिकाकर्ता ने पक्षकारों के मेमो में इसे शामिल करने का अनुरोध किया। कोर्ट ने अर्जी स्वीकार करते हुए नगर पालिका को नोटिस भी जारी किया।
मामले की सुनवाई अब 5 सितंबर को होगी।
केस टाइटल- आकाश वशिष्ठ बनाम उत्तराखंड राज्य व अन्य।
याचिकाकर्ता के वकील-रक्षित जोशी और अत्रि अधिकारी
उत्तरदाताओं के वकील-एस.एस. चौहान, वीरेंद्र कपरुवान, आदित्य प्रताप सिंह, राजीव भट्ट, पंकज चतुर्वेदी, राहुल कंसुल।
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