उत्तराखंड हाईकोर्ट ने पीड़िता के मकुदमा आगे नहीं चलाने का इरादा जाहिर करने पर पॉक्सो ट्रायल रद्द किया

Update: 2022-11-08 06:06 GMT

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हाल ही में यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम, 2012 (पॉक्सो एक्ट) के तहत आपराधिक मुकदमा खारिज कर दिया। कोर्ट ने यह देखते हुए मुकदमा खारिज किया कि पीड़िता जीवन में आगे बढ़ गई है और आरोपी पर मुकदमा चलाने का इरादा नहीं रखती है।

जस्टिस शरद कुमार शर्मा की एकल पीठ ने कहा कि यद्यपि पॉक्सो एक्ट (POCSO Act) के तहत अपराध और आपराधिक मामले में शिकायत किए गए अन्य आईपीसी अपराध सीआरपीसी की धारा 320 के तहत कंपाउंडेबल नहीं हैं। हालांकि, यह इस तथ्य से अनभिज्ञ नहीं हो सकता है कि आवेदक और पीड़ित (बहुसंख्यक होने पर) ने विवाह कर लिया है और अपने वैवाहिक दायित्वों का निर्वहन खुशी-खुशी कर रहे हैं।

कोर्ट ने नोट किया कि उपरोक्त सेशन ट्रायल को जारी रखने की अनुमति देने से अंततः परिवार खराब हो जाएंगे।

अदालत ने कहा,

"चूंकि, दोनों ने शादी कर ली है और इस स्तर पर जब वे शादी कर चुके हैं तो वे बालिग हैं। इस स्थिति में 15.11.2020 को अपराध करने की तिथि पर उनकी स्थिति को नजरअंदाज करना पड़ा है। परिवार के बीच सद्भाव बनाए रखने के लिए वर्तमान सी -482 आवेदन के प्रत्येक पक्ष का विवाह हो चुका है।"

अदालत ने आगे कहा,

"सीआरपीसी की धारा 482 के तहत निहित शक्तियों का प्रयोग करते हुए इस न्यायालय का विचार है कि 2020 के स्पेशल सेशन ट्रायल नंबर 45, "राज्य बनाम अनीस" को जारी रखने से अंततः दो परिवारों का जीवन खराब हो जाएगा। फिर विशेष रूप से जब पीड़ित-प्रतिवादी नंबर दो ने इस न्यायालय के समक्ष बयान दिया कि वह वर्तमान आवेदक पर और मुकदमा चलाने का इरादा नहीं रखती है।"

तद्नुसार, कोर्ट ने कंपाउंडिंग आवेदन का निपटारा करते हुए सेशन ट्रायल को छोड़ने का आदेश पारित किया।

केस टाइटल: अनीस उर्फ ​​अनीस रजा बनाम उत्तराखंड राज्य

साइटेशन: 2022 का C482 नंबर 1942/2022

कोरम: जस्टिस शरद कुमार शर्मा

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