उत्तराखंड हाईकोर्ट ने विवाहित महिला को 'दोस्त' के साथ रहने की अनुमति दी, पति द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका खारिज

Update: 2023-06-20 05:49 GMT

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने पति के पक्ष में बंदी प्रत्यक्षीकरण रिट जारी करने से इनकार करते हुए पत्नी को अपने उस दोस्त के साथ रहने की इजाजत दे दी, जिसके साथ वह अपनी मर्जी से रह रही है।

याचिकाकर्ता और महिला के बीच वर्ष 2012 में विवाह हुआ था। विवाह से उनके दो बच्चे (10 वर्षीय बेटा और 6 वर्षीय बेटी) पैदा हुए। अगस्त 2022 में पत्नी फरीदाबाद चली गई, जहां उसके माता-पिता रहते हैं। हालांकि, वह उसके बाद वह कभी भी अपने ससुराल वापस नहीं लौटी।

याचिकाकर्ता को आशंका हुई कि उसकी पत्नी को प्रतिवादी नंबर 9 द्वारा अवैध रूप से कस्टडी में लिया गया है। याचिकाकर्ता ने उसे अपनी पत्नी का दोस्त कहा है। इस प्रकार, उसने अपनी पत्नी को वापस पाने के लिए बंदी प्रत्यक्षीकरण रिट जारी करने की मांग करते हुए हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर की।

इसलिए कोर्ट ने सुनवाई की आखिरी तारीख में कोर्ट के समक्ष पत्नी की उपस्थिति सुनिश्चित करने का आदेश दिया और इस तरह के आदेश के अनुसार, वह मौजूद थी। उसने खंडपीठ को बताया कि याचिकाकर्ता उसके साथ दुर्व्यवहार करता था, इसलिए वह अब उसकी साथ रहने को तैयार नहीं है। उसने यह भी कहा कि वह अपनी मर्जी से दोस्त के साथ रह रही है।

हालांकि, याचिकाकर्ता के लिए यह प्रस्तुत किया गया कि उसके खिलाफ पूर्वोक्त आरोप असत्य है और उसने बिना किसी वैध कारण के उसका साथ छोड़ दिया।

जस्टिस मनोज कुमार तिवारी और जस्टिस पंकज पुरोहित की खंडपीठ ने पक्षों को सुनने के बाद याचिकाकर्ता-पति को कोई राहत देने में असमर्थता व्यक्त की और कहा,

"जैसा भी हो, क्योंकि महिला ने स्पष्ट रूप से कहा कि वह प्रतिवादी नंबर 9 के साथ रह रही है, इसलिए वह अपनी इच्छा से और कोई आज्ञा नहीं दे सकती।

तदनुसार, याचिका खारिज कर दी गई।

केस नंबर: एचएबीसी नंबर 18/2022

आदेश दिनांक: 14 जून, 2023

याचिकाकर्ता के वकील: श्री एम.सी. पंत और राज्य के वकील: जे.एस. विर्क, सब-एडवोकेट जनरल, राकेश जोशी और पंकज जोशी।

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