पत्नी पर दूसरों के साथ सेक्स चैट व न्यूड वीडियो कॉल करने का दबाव बनाने का मामला-उत्तराखंड हाईकोर्ट ने पत्नी को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोपी व्यक्ति को जमानत देने से इनकार किया
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने मंगलवार को उस व्यक्ति को जमानत देने से इनकार कर दिया, जिसके खिलाफ अपनी पत्नी को आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया गया है। इस व्यक्ति पर आरोप है कि वह कथित तौर पर अपनी पत्नी पर विभिन्न व्यक्तियों के साथ न्यूड वीडियो कॉल करने और सेक्स चैट करने के लिए दबाव डालता था।
न्यायमूर्ति रवींद्र मैथानी की खंडपीठ ने कथित तौर पर मृतक/पत्नी और आवेदक/पति के बीच रिकॉर्ड की गई उस बातचीत का अवलोकन किया,जो एक ''भयानक कहानी'' का खुलासा कर रही है। जिसके बाद पीठ ने कहा कि,
''क्या यह एक ऐसा मामला नहीं है जिसमें मृतक पूरी तरह से निराश महसूस करती है और उसे अपना अस्तित्व बनाए रखना मुश्किल लगता है? इसलिए उसने अपना जीवन समाप्त कर लिया।''
हालांकि, कोर्ट ने नोट किया कि ट्रायल के दौरान इस ऑडियो रिकॉर्डिंग की विश्वसनीयता की जांच की जाएगी। यदि आवश्यक होगा, तो आवाज की फोरेंसिक जांच की जा सकती है।
संक्षेप में मामला
एफआईआर के अनुसार, आवेदक नशे का आदी था, जो शराब के नशे में अपनी पत्नी/मृतक के साथ मारपीट और झगड़ा करता था और उस पर गलत काम करने का दबाव भी डालता था।
मृतक को ये सब गतिविधियां पसंद नहीं थीं और वह अपना घर छोड़कर अपने पैतृक घर चली गई थी, हालांकि, दोनों के बीच में एक पंचायत की गई थी, जिसमें आवेदक ने फिर से माफी मांगी और मृतका को अपने साथ ले आया।
आवेदक ने एक प्रशांत मंडल के मोबाइल पर व्हाट्सएप के माध्यम से भेजे गए एक संदेश के जरिए माफी मांगी थी, लेकिन 14 फरवरी, 2021 को मृतका ने आत्महत्या कर ली।
जांच के दौरान, जांच अधिकारी ने कथित तौर पर मृतक के कुछ ऑडियो क्लिप एकत्र किए थे जिसमें उसने अपने उस आघात के बारे में बताया था, जिससे वह गुजरी थी।
न्यायालय की टिप्पणियां
कोर्ट ने कहा कि जब मृतका ने आत्महत्या की तो उसके दिमाग में क्या चल रहा था? एक इंसान द्वारा उसे पढ़ा जाना बहुत कठिन है और वह क्या चीज थी,जिसने एक व्यक्ति को अपना जीवन समाप्त करने के लिए प्रेरित किया। इसके बारे में जानकारी केवल उपस्थित परिस्थितियों से ही एकत्रित की जा सकती है।
गौरतलब है कि कोर्ट ने जमानत अर्जी के साथ लगाए गए फेसबुक पोस्ट का हवाला भी दिया और पाया कि वे निश्चित रूप से बहुत चमकदार दिखती हैं।
कोर्ट ने कहा कि, ''लेकिन, यह एक ऐसा मामला है कि इस व्यक्त चमक के पीछे व नीचे बहुत अंधेरा था। यह वहीं गलत काम था जिसका जिक्र प्राथमिकी में किया गया है।''
इसका जवाब जानने के लिए अदालत ने मृतक की भाभी के बयान को ध्यान में रखा, जिसमें बताया गया था कि आवेदक मृतका पर अन्य व्यक्तियों को गंदी वीडियो कॉल करने के लिए दबाव बनाता था।
एक अन्य गवाह ने आईओ को बताया कि वास्तव में एक बार मृतका ने उसे बताया था कि आवेदक उसे परेशान करता है, वह उस पर अलग-अलग लोगों से बात करने के लिए दबाव डालता है और रात में विभिन्न लोगों को उसका नग्न शरीर ऑनलाइन दिखाता है।
गवाहों के बयान और रिकॉर्ड की गई बातचीत के आलोक में, अदालत का विचार था कि यह जमानत देने के लिए उपयुक्त मामला नहीं है और जमानत अर्जी खारिज करने योग्य है। इस प्रकार, इसे खारिज कर दिया गया।
केस का शीर्षक - अरुण बैरागी बनाम उत्तराखंड राज्य
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