वाद में 'टॉम, डिक एवं हैरी' जैसे अपरिष्कृत शब्दों के इस्तेमाल की अनुमति नहीं : दिल्ली हाईकोर्ट ने याचिका खारिज की
दिल्ली हाईकोर्ट ने मसौदा याचिका में अपरिष्कृत शब्दों के इस्तेमाल के कारण राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण एवं अपीलीय न्यायाधिरकण के कामकाज के विरुद्ध शिकायत संबंधी एक याचिका खारिज कर दी है।
न्यायमूर्ति प्रतिभा एम. सिंह की एकल पीठ ने कहा,
"ऐसा प्रतीत होता है कि याचिकाकर्ता ने खुद से याचिका ड्राफ्ट की है। (मसौदा याचिका) पढ़ने से पता चलता है कि याचिका में अपरिष्कृत भाषा का इस्तेमाल किया गया है।"
आदेश में याचिका के उस हिस्से का भी उल्लेख किया गया है, जो इस प्रकार है,
"एए/एनसीएलटी किसी भी व्यक्ति – टॉम, डिक और हैरी' को आईबीसी (इंसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्शी कोड) की धारा सात के तहत प्रतिवादी का प्रतिनिधित्व करने या बचाव कररने की अनुमति नहीं दे सकता, क्योंकि नियम इसकी इजाजत नहीं देते हैं।"
'टॉम, डिक और हैरी' जैसे शब्दों के इस्तेमाल के लिए याचिका खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि कोर्ट के समक्ष इस तरह की भाषा की अनुमति नहीं है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को सही तरीके से याचिका ड्राफ्ट करने और उसके बाद उसे फिर से फाइल करने का निर्देश दिया।
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