सिनेमा हॉल मालिकों की ओर से दर्शकों को अपनी खाद्य सामग्री ले जाने पर रोक लगाने के समर्थन में यूपी सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में हलफनामा दाखिल किया

Update: 2023-09-09 06:58 GMT

Allahabad High Court

उत्तर प्रदेश सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक हलफनामा दायर किया है, जिसमें सिनेमा हॉल मालिकों की ओर से हॉल के भीतर खाने-पीने के सामान ले जाने पर लगाई गई रोक का समर्थन किया गया है।

यह हलफनामा 2018 में दायर एक पीआईएल में दायर किया गया है, जिसमें राज्य में सिनेमा हॉल मालिकों द्वारा दर्शकों को हॉल के अंदर खुद के खाद्य पदार्थ ले जाने पर लगाए गए प्रतिबंधों को चुनौती दी गई थी।

बुधवार को जस्टिस मनोज कुमार गुप्ता व जस्टिस ज्योत्सना शर्मा की खंडपीठ के समक्ष प्रतिवादी संख्या 5/सिनेमा हॉल मालिकों के प्रबंधन की ओर से पेश वकील ऋत्विक राय ने प्रस्तुत किया कि वर्तमान मामले में विवाद को सुप्रीम कोर्ट ने केसी सिनेमा बनाम जम्मू और कश्मीर राज्य और अन्य 2023 लाइव लॉ (एससी) 38 के अपने जनवरी 2023 के फैसले में सुलझा लिया है।

उन्होंने आगे कहा कि केसी सिनेमा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मूवी थियेटर में प्रवेश करने वाले व्यक्तियों को अपना भोजन और पेय पदार्थ ले जाने की अनुमति नहीं देने के लिए मूवी थियेटर प्रबंधन द्वारा लगाए गए प्रतिबंध की तर्कसंगतता पर विचार किया है और उस प्रतिबंध को बरकरार रखा है।

गौरतलब है कि उस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सिनेमा हॉल में खाद्य और पेय पदार्थों के प्रवेश को प्रतिबंधित करना "अनुचित, अतार्किक या अचेतन" प्रतिबंध नहीं है।

कोर्ट ने कहा,

"प्रवेश की शर्त संविधान के अनुच्छेद 19(1)(जी) के तहत सिनेमा मालिकों के व्यवसाय या व्यापार करने के अधिकार के प्रत्यक्ष परिणाम के रूप में लगाई गई है। फिल्म देखने वालों को अपने साथ खाने-पीने के सामान ले जाने से रोकने का व्यावसायिक तर्क सिनेमा हॉल में अपने व्यवसाय के एक महत्वपूर्ण पहलू - भोजन और पेय पदार्थों की बिक्री को प्रोत्साहित और बढ़ावा देना है।

यदि व्यवसाय मालिकों को अपने व्यवसाय के विभिन्न पहलुओं (कानून के अनुसार) को निर्धारित करने की अनुमति नहीं है, तो आर्थिक गतिविधि बंद हो जाएगी।''

"फिल्म देखना या न देखना पूरी तरह से दर्शकों की पसंद पर निर्भर है। यदि दर्शक सिनेमा हॉल में प्रवेश करना चाहते हैं, तो उन्हें उन नियमों और शर्तों का पालन करना होगा जिनके अधीन प्रवेश दिया जाता है"

मामले की सुनवाई के दरमियान चूंकि याचिकाकर्ता या उसके वकील अदालत के समक्ष उपस्थित नहीं हुए, इसलिए हाईकोर्ट ने मामले में कोई भी आदेश पारित करने से खुद को रोक दिया और मामले को 12 सितंबर को सुनवाई के लिए पोस्ट कर दिया।

केस टाइटलः ममता सिंह बनाम यूपी राज्य प्रधान सचिव, गृह के माध्यम से, और अन्य [पीआईएल नंबर- 23409/2018]

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