'SC/ST लोअर कास्ट्स' ट्वीट: पत्रकार रजत शर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का निर्देश देने से इनकार करने वाले यूपी कोर्ट के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती

Update: 2023-03-14 13:23 GMT

इलाहाबाद हाईकोर्ट में आगरा कोर्ट के उस आदेश को चुनौती देते हुए एक अपील दायर की गई है जिसमें सीआरपीसी की धारा 156 (3) के तहत दायर एक आवेदन को खारिज कर दिया गया था, जिसमें इंडिया टीवी के चेयरमैन और प्रधान संपादक रजत शर्मा के खिलाफ अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को 'निम्न/छोटी' जातियां कहने पर एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई थी।

अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अधिनियम की धारा 14ए(1) के तहत अनुसूचित जाति समुदाय के सदस्य मुकेश कुमार चौधरी ने विशेष न्यायाधीश (एससी/एसटी अधिनियम)/अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, आगरा के आदेश और फैसले के खिलाफ अपील दायर की है। आगरा कोर्ट ने अक्टूबर 2022 में सीआरपीसी की धारा 156 (3) के तहत दायर याचिका को खारिज कर दिया था।

अपील में यह दावा किया गया है कि आगरा कोर्ट इस तथ्य पर ध्यान देने में विफल रहा कि शर्मा ने 6 जुलाई, 2021 को एक ट्वीट कर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को 'निम्न/छोटी' जाति के रूप में संबोधित करके आईपीसी की धारा 504, 510, 124ए आईटी एक्ट की 66, 67 आईटी अधिनियम और एससी/एसटी एक्ट की धारा 3 (1) (आर), 3(2)(वीए) और 3(2)(5) के तहत एक संज्ञेय कार्य किया।

विचाराधीन कथित ट्वीट इस प्रकार है:

कल मोदी के मंत्रिमंडल के विस्तार में 25 से ज्यादा ओबीसी, एससी और एसटी के चेहरे दिखाई देंगे। 20 छोटे छोटे वर्गों के लीडर्स को जगह दी जाएगी। पिछड़े और बदहाल समाज के कई नेता मंत्री बनेंगे 

अपीलकर्ता ने दावा किया है कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग की निचली जाति के रूप में प्रस्तुति अपमानजनक, आपत्तिजनक और भारत के संविधान द्वारा निषिद्ध है और ऐसा ही खुले मीडिया में किया गया है और कथित ट्वीट को देखने के बाद अपीलकर्ता की भावना ठेस पहुंची।

आगरा कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए अपीलकर्ता ने शर्मा, उनकी पत्नी (ऋति धवन) और मनीष माहेश्वरी (ट्विटर इंडिया के पूर्व प्रमुख) के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए हाईकोर्ट से निर्देश देने की भी मांग की है।

अपील बुधवार (15 मार्च) को गजेंद्र कुमार की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आएगी।

यह ध्यान दिया जा सकता है कि अपीलकर्ता के आवेदन को आगरा कोर्ट ने इस आधार पर खारिज कर दिया था कि कथित ट्वीट शर्मा के भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार के दायरे में आता है और यह किसी का अपमान नहीं करता है। न्यायालय ने अपने आदेश में यह भी कहा था कि ऐसा प्रतीत होता है कि अपीलकर्ता ने प्रचार पाने के लिए याचिका दायर की थी।

केस टाइटल - मुकेश कुमार चौधरी बनाम यूपी राज्य और अन्य [CRLA/21153/2023]

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