केंद्र के ब्लॉकिंग आदेशों के खिलाफ ट्विटर की याचिका, कहा-अगर बिना वजह अकाउंट ब्लॉक किए तो कारोबार बंद हो जाएगा; कर्नाटक हाईकोर्ट ने केंद्र को नोटिस जारी किया
कर्नाटक हाईकोर्ट ने मंगलवार को केंद्र सरकार की ओर से जारी ब्लॉकिंग ऑर्डर्स खिलाफ ट्विटर इंक की ओर से दायर रिट याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया।
जस्टिस कृष्णा एस दीक्षित की एकल पीठ ने मामले को 25 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दिया। अदालत ने ट्विटर को कोर्ट के समक्ष ब्लॉकिंग ऑर्डर्स को सीलबंद लिफाफे में पेश करने की अनुमति दी है। कोर्ट ने ट्विटर को सभी दस्तावेजों को सीलबंद लिफाफे में केंद्र सरकार के वकील के साथ साझा करने का भी निर्देश दिया।
टि्वटर की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने लगभग 1100 खातों के खिलाफ ब्लॉकिंग आदेश जारी किए हैं।
रोहतगी ने कहा,
"रिकॉर्ड पर रखने और हमें बताने के लिए उन नियमों को बताया जाए कि खातों को क्यों ब्लॉक किया जाए। ऐसे नहीं किया जाता है। हम खाताधारकों के प्रति जवाबदेह हैं कि उनके खाते क्यों ब्लॉक किए गए हैं। यदि यह जारी रहा, तो मेरा पूरा बिजनेस बंद हो जाएगा।"
पीठ ने सीनियर एडवोकेट से कहा कि दो सप्ताह के बाद उनकी सुनवाई होगी। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता COVID से संक्रमित हैं, इसलिए सुनवाई को टाल दिया गय। रोहतगी ने सहमति व्यक्त की और अनुरोध किया कि मामले को 25 अगस्त को पोस्ट किया जाए।
केंद्र सरकार के वकील ने अनुरोध किया कि सुनवाई इन-कैमरा (निजी) की जाए। पीठ ने कहा कि वह विचार करेगी।
ट्विटर इंक द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 69ए के तहत इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा जारी किए गए कई ब्लॉकिंग ऑर्डर्स "प्रक्रियात्मक रूप से और प्रावधानों के स्तर पर काफी कमजोर" हैं और "अनुपातिक रूप से शक्ति का अत्यधिक प्रदर्शन करते हैं और अनुपातहीन हैं।"
मंगलवार को दायर की गई याचिका में कहा गया है कि जून में मंत्रालय ने ट्विटर को गैर-अनुपालन के गंभीर परिणामों को बताते हुए एक पत्र दिया, जिसमें ट्विटर के मुख्य अनुपालन अधिकारी के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही शुरू करना शामिल है, और ब्लॉकिंग ऑर्डर्स की एक सीरीज का पालन करने का अंतिम अवसर प्रदान किया गया है। पत्र में कहा गया है ऐसा करने में विफल रहने से ट्विटर अपनी प्रतिरक्षा खो देगा, जैसा कि आईटी एक्ट की धारा 79 (1) के तहत उपलब्ध है।
ट्विटर ने अपनी याचिका में कहा कि इन खतरों की गंभीरता के कारण, ट्विटर ने मंत्रालय द्वारा जारी किए गए कई ब्लॉकिंग ऑर्डर को चुनौती दी है। ऐसा कहा जाता है कि सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 69ए के तहत मंत्रालया को कुछ सरकारी एजेंसियों द्वारा रिपोर्ट की गई सामग्री के लिए ब्लॉकिंग ऑर्डर जारी करने के लिए अधिकृत करता है।