घर खरीदारों को राहत, सुप्रीम कोर्ट ने इंसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड संशोधन को वैध ठहराया

कुछ रियल स्टेट कंपनियों ने इस संशोधन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। बिल में कंपनियों की दिवालिया प्रक्रिया पूरी करने के लिए तय समयसीमा को 270 से बढ़ाकर 330 करने का भी प्रावधान किया गया है।

Update: 2019-08-09 15:32 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने इंसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड ( IBC) यानी दिवालिया एवं ऋण शोधन अक्षमता संशोधन कानून को बरकरार रखते हुए घर खरीदारों को बड़ी राहत दी है। इसके साथ ही अदालत ने संशोधनों को वैध करार देते हुए फ्लैट खरीदारों को वित्तीय लेनदार का दर्जा बरकरार रखा है।

जस्टिस आर एफ नरीमन की अध्यक्षता वाली पीठ ने शुक्रवार को बिल्डरों की याचिका पर फैसला सुनाया है और पिछले साल IBC में धारा 5 (8) (f) जोड़ने को सही ठहराया है।

पीठ ने तमाम बिल्डरों की 180 से ज्यादा याचिकाओं पर फैसला सुनाया कि रियल एस्टेट सेक्टर के नियमन के लिए बने RERA एक्ट को IBC के संशोधनों के साथ पढ़ा जाना चाहिए। अगर किसी केस में दोनों कानूनों के प्रावधानों में कोई विरोधाभास मिलता है तो IBC के संशोधित प्रावधान लागू होंगे। पीठ ने घर खरीदारों को डिफ़ॉल्टर होने वाले बिल्डरों के खिलाफ दिवालिया घोषित करने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए और रिफंड के लिए NCLT में आवेदन दायर करने की अनुमति दी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वास्तविक फ्लैट खरीदार बिल्डर के खिलाफ दिवालिया प्रक्रिया शुरू करने की मांग कर सकते हैं। अदालत ने केंद्र को इसके संबंध में आवश्यक कदम उठाकर अदालत में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है।

पीठ ने कहा कि रियल एस्टेट कंपनियों के खिलाफ आवश्यकतानुसार RERA प्राधिकरण, NCLT और NCDRC के समक्ष घर खरीदारों को कार्यवाही शुरू करने का अधिकार है। 3 महीने के भीतर केंद्र RERA के तहत प्राधिकारी नियुक्त करे। पीठ ने कंपनियों द्वारा दाखिल याचिका खारिज की कि IBC संशोधन NCLT के सामने "एक तरफा सुनवाई" की अनुमति देता है।

दरअसल पिछले साल संसद ने ये संशोधन पास किया था जिसमें घर खरीदार को दिवालिया घोषित कंपनी के ऋणदाता माना गया। कुछ रियल स्टेट कंपनियों ने इस संशोधन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। बिल में कंपनियों की दिवालिया प्रक्रिया पूरी करने के लिए तय समयसीमा को 270 से बढ़ाकर 330 करने का भी प्रावधान किया गया है। अब दिवालिया प्रक्रिया शुरू करने के आवेदन के समय ही उसके पूरे करने की समय सीमा तय होगी। साथ ही वित्तीय लेनदारों के संकट का भी निवारण किया जाएगा। 



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