यदि सीबीआई और ईडी जैसी एजेंसियां स्वतंत्र रूप से काम नहीं करेंगी तो यह लोकतंत्र के लिए खतरनाक होगाः बॉम्बे हाईकोर्ट
बॉम्बे हाईकोर्ट ने गुरुवार को कहा कि न्यायपालिका और आरबीआई, सीबीआई और ईडी जैसी एजेंसियों को स्वतंत्र माना जाता है और इसलिए उन्हें निष्पक्ष रूप से कार्य करना चाहिए।
जस्टिस एसके शिंदे और मनीष पिटले की खंडपीठ एकनाथ खडसे द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने पिछले साल अक्टूबर में उनके खिलाफ दर्ज प्रवर्तन निदेशालय की शिकायत को खारिज करने की मांग की थी।
अंतरिम फैसले में खडसे के वकील अबद पोंडा अपने मुवक्किल के खिलाफ किसी भी आक्रामक कार्रवाई से सुरक्षा की मांग कर रहे थे। उन्होंने जारी किए गए समन के आधार पर पूछताछ की ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग भी मांगी।
ईडी के वकील अनिल सिंह ने अदालत को बताया कि एजेंसी सोमवार (25 जनवरी) तक कोई कार्रवाई नहीं करेगी। हालांकि, उन्होंने कहा कि उनके बयान को दर्ज नहीं किया जाना चाहिए।
जस्टिस शिंदे ने कहा, "अगर याचिकाकर्ता को कुछ और दिनों के लिए संरक्षण दिया जाता है तो इससे कौन सा पहाड़ टूटने वाला है? हम हमेशा मानते हैं कि न्यायपालिका और आरबीआई, सीबीआई, ईडी जैसी एजेंसियों को स्वतंत्र और उन्हें निष्पक्ष रूप से कार्य करना चाहिए।"
अदालत ने कहा, "अगर ये एजेंसियां स्वतंत्र रूप से काम नहीं करती हैं तो इससे लोकतंत्र के लिए खतरा है।"
जस्टिस शिंदे ने पूछा कि कोई अंतरिम संरक्षण नहीं दिया जाना चाहिए, यह जिद क्यों है। उन्होंने कहा कि जब भी सिंह ने बयान दिया, उन्होंने इसका पालन किया। सिंह ने कहा कि यदि कोई आदेश पारित किया गया तो यह गलत मिसाल कायम करेगा।
पीठ ने हालांकि पोंडा की प्रस्तुतियों कि खडसे जांच में सहयोग करने के लिए तैयार थे, के बाद गिरफ्तारी की आवश्यकता पर सवाल उठाया। पीठ ने कहा, "यदि कोई सम्मन का समर्थन करने और सम्मान करने के लिए तैयार है, तो हम अपने आप से सवाल करें कि गिरफ्तारी का कारण क्या है?"
सिंह ने दलील दी, "जांच के दौरान सहयोग पर विचार किया जा सकता है यदि यह अग्रिम जमानत आवेदन है, न कि जब वह शिकायत को रद्द करने की मांग कर रहा है। मुझे इस याचिका के सुनवाई योग्य होने पर आपत्ति है।"
खडसे (68), जो भाजपा छोड़कर एनसीपी में शामिल हो गए, इस साल 15 जनवरी को मुंबई में ईडी के सामने पेश हुए। उन्हें कथित रूप से जमीन हड़पने के मामले में बयान दर्ज कराने के लिए सम्मन दिया गया था।
खडसे ने अपनी याचिका में दावा किया था कि जमीन के कानूनी मालिक से उनकी पत्नी और दामाद ने जमीन खरीदी थी और इस प्रक्रिया में कोई अवैधता नहीं थी। खडसे की याचिका के जवाब में, ईडी ने गुरुवार को अपने हलफनामे में कहा कि एक प्रारंभिक जांच में स्पष्ट रूप से मामले में मनी लॉन्ड्रिंग के सबूत सामने आए हैं।
इडी ने दावा किया कि अक्टूबर 2020 में एकनाथ खडसे, उनकी पत्नी मंदाकिनी खडसे और दामाद गिरीश चौधरी के खिलाफ पुणे में कथित जमीन हड़पने के मामले में ईसीआईआर दर्ज की गई थी, जिससे सरकारी खजाने को 62 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ।
एजेंसी के अनुसार, भूमि को 3.75 करोड़ रुपये की कम दर पर आपराधिक इरादे से खरीदा गया था, जिसे बाद में महाराष्ट्र औद्योगिक विकास निगम (एमआईडीसी) द्वारा अधिग्रहण किया जाना था। खरीद का इरादा बाद में मुआवजा पाना था।
आरोप लगाया कि खडसे ने 2016 में राज्य के राजस्व मंत्री के रूप में अपने पद का दुरुपयोग किया। ईडी ने अपने हलफनामे में कहा कि अदालत ने आज तक क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार नहीं किया है और इसलिए एफआईआर बंद नहीं हुई है।