क्षेत्राधिकार से बाहर जाकर पारित सेशन जज के आदेश पर हाईकोर्ट को गंभीर आपत्ति, चीफ जस्टिस के संज्ञान में लाने के निर्देश

Update: 2025-12-13 15:00 GMT

राजस्थान हाईकोर्ट ने थाना बदनोर, जिला ब्यावर में दर्ज सामूहिक मारपीट के एक मामले में चार अभियुक्तों को जमानत प्रदान करते हुए तत्कालीन सेशन जज दिनेश कुमार गुप्ता द्वारा पारित कुछ निर्देशों पर गंभीर टिप्पणी की।

जस्टिस सुदेश बंसल ने स्पष्ट किया कि जमानत याचिका का निस्तारण करते समय न्यायालय अपने अधिकार-क्षेत्र से बाहर जाकर अन्य प्रशासनिक या नीतिगत निर्देश जारी नहीं कर सकता। हाईकोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए रजिस्ट्रार (न्यायिक) को निर्देश दिया कि तत्कालीन सेशन जज, ब्यावर द्वारा पारित आदेश दिनांक 25.11.2025 की प्रति माननीय एक्टिंग चीफ जस्टिस, राजस्थान हाईकोर्ट के अवलोकन हेतु प्रस्तुत की जाए।

यह आदेश S.B. Criminal Miscellaneous Bail Application No. 14657/2025 में पारित किया गया, जो FIR 146/2025, थाना बदनोर, जिला ब्यावर से सम्बन्धित है। अभियुक्तों पर भारतीय न्याय संहिता, 2023 (BNS) की धाराएँ 115(2), 126(2), 189(2), 303(2) एवं 333 के तहत आरोप लगाए गए।

उल्लेखनीय है कि सेशन जज, ब्यावर ने 25 नवम्बर, 2025 के आदेश में जमानत याचिका का निस्तारण करते हुए मामले का अनुसंधान सीबीआई जैसी स्वतंत्र एजेंसी से करवाए जाने के सम्बन्ध में निर्णय लेने और अवैध खनन रोकने जैसे निर्देश भी जारी किए। इस पर हाईकोर्ट ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि ऐसे निर्देश BNSS की धारा 483 के अंतर्गत जमानत याचिका के दायरे से बाहर हैं। इस प्रकार के आदेश पारित करना अधिकार-क्षेत्र से परे है।

हालांकि, हाईकोर्ट ने इन निर्देशों को तत्काल निरस्त करने से परहेज करते हुए प्रभावित पक्षों को विधि अनुसार उपलब्ध उपाय अपनाने की स्वतंत्रता दी, लेकिन मामले की गंभीरता को देखते हुए रजिस्ट्रार (न्यायिक) को निर्देश दिया कि तत्कालीन सेशन जज, ब्यावर दिनेश कुमार गुप्ता द्वारा पारित आदेश दिनांक 25.11.2025 की प्रति माननीय एक्टिंग चीफ जस्टिस, राजस्थान हाईकोर्ट के अवलोकन हेतु प्रस्तुत की जाए।

रजाक खान हैदर @ लाइव लॉ नेटवर्क

Tags:    

Similar News