यदि पीड़ित लड़की की उम्र संदिग्ध है और साबित नहीं होती है तो POCSO अधिनियम के तहत आरोपी को संदेह का लाभ दिया जाना चाहिए: तेलंगाना हाईकोर्ट

Update: 2022-07-16 06:31 GMT

तेलंगाना हाईकोर्ट ने हाल ही में फैसला सुनाया कि यदि पीड़ित लड़की की उम्र को अभियोजन पक्ष द्वारा 18 वर्ष से कम उम्र साबित नहीं किया जा सकता है तो POCSO अधिनियम के तहत आरोपी को संदेह का लाभ दिया जाना चाहिए।

मामले के संक्षिप्त तथ्य

अपीलकर्ता/अभियुक्त को POCSO अधिनियम की धारा 366A, 376 (2) (n) और धारा 342 के तहत अपराध के लिए दोषी ठहराया गया था। POCSO अधिनियम के तहत ट्रायल के लिए विशेष न्यायाधीश द्वारा आदेश पारित किया गया था।

अभियोजन का मामला यह था कि पीड़िता के पिता ने 20.02.2017 को सुबह स्कूल जाने के कुछ घंटे बाद शिकायत दर्ज कराई कि वह स्कूल से वापस नहीं लौटी और उसे अपीलकर्ता पर शक है। पीड़ित लड़की मिल गई और उसने कहा कि आरोपी उसे जबरदस्ती एक कमरे में यह कहते हुए ले गया कि वह उससे शादी करेगा और 12 दिनों तक लगातार उसके साथ बलात्कार किया।

हालांकि, ट्रायल के दौरान पीड़िता ने कहा कि वह अपीलकर्ता से परिचित है और उसके साथ रहने के दौरान वह खाना बनाती थी।

न्यायालय का निष्कर्ष

अदालत ने पाया कि जैसा कि पीड़ित लड़की ने अपने बयान में कहा कि अपीलकर्ता द्वारा कभी भी उसके साथ या एक कमरे में रहने के लिए किसी भी तरह से कोई बल नहीं दिया। पीड़िता द्वारा स्वीकार किया गया कि वे एक साथ रहे और उसने कभी-कभी खाना बनाया और घर के बाहर बाथरूम का इस्तेमाल किया, जहां कई घर थे। यह दर्शाता है कि वह बिना किसी ज़बरदस्ती के अपनी मर्जी से उसके पास रुकी थी।

अपीलकर्ता को दोषी ठहराने का मुख्य कारण पीड़ित की उम्र थी, क्योंकि अभियोजन पक्ष के अनुसार पीड़ित की जन्म तिथि 17.12.2000 थी। घटना की तारीख के अनुसार, यह प्रस्तुत किया गया कि वह लगभग 17 वर्ष और 18 वर्ष से कम थी। हालांकि, अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने उसकी उम्र साबित करने के लिए कोई सबूत दाखिल नहीं किया। अदालत ने कहा कि अस्पताल या नगर निगम के अधिकारियों द्वारा जारी किसी प्रमाण पत्र के अभाव में पीड़ित लड़की की सही उम्र का अनुमान नहीं लगाया जा सकता।

अदालत ने कहा कि यदि अभियोजन द्वारा अनुमानित उम्र संदेहास्पद है और साबित नहीं हुई है तो पीड़िता की उम्र के आधार पर दोषसिद्धि कायम नहीं रखी जा सकती है और यहां आरोपी को संदेह का लाभ दिया जाना चाहिए।

इस प्रकार, आपराधिक याचिका की अनुमति दी गई।

केस टाइटल: गुडा महेंद्र बनाम तेलंगाना राज्य

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