शिक्षक भर्ती घोटाला: ईडी की आपत्ति के बाद कलकत्ता हाईकोर्ट के जज अभिषेक बनर्जी की याचिका पर सुनवाई से अलग हुए
कलकत्ता हाईकोर्ट के जज जस्टिस तीर्थंकर घोष ने सोमवार को पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती "कैश-फॉर-जॉब" घोटाले के संबंध में टीएमसी सांसद अभिषेक बनर्जी द्वारा दायर खारिज करने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया।
यह घटनाक्रम ईडी द्वारा उनकी अदालत में मामले की सुनवाई पर आपत्ति जताने के बाद आया। एएसजी एसवी राजू ने सुप्रीम कोर्ट के 28 अप्रैल के निर्देश का हवाला दिया, जिसके आधार पर भर्ती घोटाले से संबंधित मामला जस्टिस अमृता सिंह की एकल पीठ को फिर से सौंपा गया। एएसजी ने हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस द्वारा पारित 1 मई के असाइनमेंट आदेश का भी हवाला दिया।
हालांकि बनर्जी की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट एएम सिंघवी ने इस तर्क का विरोध किया, क्योंकि मामला रोस्टर के अनुसार नियमित पीठ के समक्ष आया है, न्यायाधीश ने आदेश दिया कि मामले के रिकॉर्ड चीफ जस्टिस के समक्ष रखे जाएं।
सुनवाई के दौरान सिंघवी ने यह भी दलील दी कि ईडी ने पहले इस तरह की आपत्तियों पर ध्यान नहीं दिया, जब सह-अभियुक्त माणिक भट्टाचार्य और सुजय कृष्ण भद्र की जमानत याचिकाएं दायर की गईं। उन्होंने आगे कहा कि सीआरपीसी की धारा 482 के तहत कार्यवाही रद्द करने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाने की स्वतंत्रता सुप्रीम कोर्ट ने ही बनर्जी को दी है।
हालांकि, कोर्ट ने कहा कि चूंकि पहले से ही असाइनमेंट आदेश मौजूद है, इसलिए कार्रवाई का सबसे अच्छा तरीका मामले को चीफ जस्टिस के विचार के लिए जारी करना होगा, जो यह निर्धारित करेंगे कि क्या इसकी सुनवाई मामले की सुनवाई के लिए नामित विशेष पीठ द्वारा की जाएगी, या नियमित पीठ द्वारा की जाएगी, जो सीआरपीसी की धारा 482 के तहत आवेदनों को सुनने के लिए दृढ़ है।
जस्टिस अमृता सिन्हा ने पहले सीबीआई और ईडी को इस मुद्दे पर जांच को आगे बढ़ाने के लिए शिक्षक भर्ती घोटाले में लाभार्थियों की सूची रिकॉर्ड पर रखने का निर्देश दिया था।
मामला: अभिषेक बनर्जी बनाम प्रवर्तन निदेशालय (ईडी)
कोरम: जस्टिस तीर्थंकर घोष
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