सट्टेबाजी वाले ऑनलाइन गेम पर बैन लगाने के लिए तमिलनाडु में अध्यादेश

Update: 2020-11-22 05:00 GMT

ऑनलाइन गेमिंग में अपना पैसा गंवाने वाले गेमर्स द्वारा आत्महत्या करने के मामलों की बढ़ती संख्या को देखते हुए तमिलनाडु के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने सट्टेबाजी वाले ''ऑनलाइन गेमिंग पर प्रतिबंध'' लगाने के लिए शुक्रवार (20 नवंबर) को एक अध्यादेश पर हस्ताक्षर किए हैं।

राजभवन ने शुक्रवार को एक बयान जारी किया है,जिसमें कहा गया है कि सरकार ने राज्यपाल को एक प्रस्ताव पेश किया था,जिसमें प्रासंगिक अधिनियमों में संशोधन करके अध्यादेश लाने की मांग की गई थी, क्योंकि ''ऑनलाइन गेमिंग के कारण, निर्दोष लोगों, मुख्य रूप से युवाओं को धोखा दिया जा रहा है और कुछ लोगों ने आत्महत्या कर ली है।''

वक्तव्य में आगे कहा गया है कि

''आत्महत्या की ऐसी घटनाओं से बचने और निर्दोष लोगों को ऑनलाइन गेमिंग की बुराइयों से बचाने के लिए, सरकार ने माननीय राज्यपाल को एक प्रस्ताव पेश किया था ताकि वह तमिलनाडु गेमिंग अधिनियम, 1930 (तमिलनाडु एक्ट III आॅफ 1930),चेन्नई सिटी पुलिस अधिनियम 1888(तमिलनाडु एक्ट III आॅफ 1888) और तमिलनाडु जिला पुलिस अधिनियम, 1859 (तमिलनाडु एक्ट XXIV आॅफ 1859) में संशोधन करके अध्यादेश ला सकें।" 

यह ध्यान देने योग्य है कि अध्यादेश निम्नलिखित प्रदान करता हैः

1) कंप्यूटर या किसी संचार उपकरण या संसाधन का उपयोग करके साइबर स्पेस में दांव लगाने या सट्टेबाजी करने वाले व्यक्तियों पर प्रतिबंध लगाना,

2) जिन लोगों को गेम खेलते पाया जाएगा,उन पर 5,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा और छह महीने के कारावास की सजा दी जाएगी,

3) जो लोग सामान्य गेमिंग हाउस खोलते/ रखते हैं, उन पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा और दो साल के कारावास की सजा दी जाएगी,

4) प्राइज मनी,जीत की राशि के वितरण और वैगिंग या सट्टेबाजी के लिए उपयोग किए गए ''धन के इलेक्ट्रॉनिक हस्तांतरण'' पर प्रतिबंध लगाना,

5) कंपनी चलाने वाले उन व्यक्तियों को दंडित करना, जो दांव लगाकर और सट्टेबाजी द्वारा ऑनलाइन गेमिंग का संचालन करते हैं।

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इस बात पर ध्यान दिया जा सकता है कि मंगलवार (03 नवंबर) को मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै बेंच ने टिप्पणी की थी कि ''यह नोट करना काफी निराशाजनक है कि ऑनलाइन जुआ के कारण कई बहुमूल्य जीवन खो गए हैं।''

न्यायमूर्ति एन किरुबाकरन और न्यायमूर्ति बी पुगलेंधी की खंडपीठ एक रिट याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें सातवें प्रतिवादी और अन्य द्वारा आयोजित ऑनलाइन रमी पर प्रतिबंध लगाने के लिए प्रतिवादी अधिकारियों को निर्देशित करने के लिए परमोदश जारी करने की मांग की गई थी।

गौरतलब है कि पूर्व में 24 जुलाई, 2020 को जस्टिस बी पुगलेंधी ने Crl.O.P. (MD) No.6568 of 2020 [D. Siluvai Venance v. State], मामले का निपटारा करते हुए ऑनलाइन गैंबलिंग के बारे में विस्तार से बताया था कि कैसे आॅनलाइन गैंबलिंग के नाम पर बहुमूल्य जीवन खो रहे हैं। वहीं तेलंगाना राज्य सरकार के सममूल्य इन कार्यक्रमों को विनियमित करने की आवश्यकता पर जोर दिया था। तेलंगाना में आॅनलाइन गैंबलिंग पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।

गुजरात हाईकोर्ट

इसी तरह, गुजरात हाईकोर्ट के समक्ष एक मुद्दा उठाया गया था और गुजरात हाईकोर्ट की पहली बेंच ने आर/रिट पैटिशन (पीआईएल) नंबर 146/2020 में 29 सितम्बर 2020 को अपना आदेश देते हुए गुजरात राज्य को निर्देश दिया था कि वह उचित रूप से गैंबलिंग सहित आॅनलाइन गेम्स की समस्या से निपटे।

मुख्य न्यायाधीश विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की खंडपीठ ने राज्य सरकार को यह निर्देश था कि वह ऑनलाइन गैंबलिंग के विनियमन की मांग करने वाली जनहित याचिका पर एक प्रतिनिधित्व के रूप में विचार करे और ''बड़े जनहित'' को ध्यान में रखते हुए जरूरी कदम उठाए।

पीठ ने कहा था कि,

''हम गुजरात राज्य को इस रिट एप्लिकेशन को एक प्रतिनिधित्व के रूप में विचार करने के लिए निर्देशित करते हैं। यदि ऑनलाइन गेम्स,जिनमें गैंबलिंग भी शामिल हैं और यदि वे गुजरात राज्य में खेले जा रहे हैं, तो राज्य से यह उम्मीद की जाती है कि वे इन से उचित प्रकार से निपटेगा क्योंकि गेमिंग भारत के संविधान की अनुसूची VII सूची II का विषय है।''

मद्रास हाईकोर्ट ने विराट कोहली, सौरव गांगुली और अन्य को नोटिस जारी किया

विशेष रूप से, मंगलवार (03 नवंबर) को हाईकोर्ट की मदुरै बेंच ने भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली और बीसीसीआई प्रमुख और पूर्व भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान सौरव गांगुली को ऑनलाइन स्पोर्टस ऐप विज्ञापनों में शामिल होने के मामले में नोटिस जारी किया है।

न्यायमूर्ति एन किरुबाकरण और न्यायमूर्ति बी पुगलेंधी की खंडपीठ ने अभिनेता प्रकाश राज, तम्मना भाटिया सहित अन्य को भी नोटिस जारी किया है।

विशेष रूप से, यह आदेश उस याचिका में आया है,जो मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै बेंच के समक्ष एक मोहम्मद रिजवी ने अपने एडवोकेट के नीलमेगमन थुजा के माध्यम से दायर की थी और आरोप लगाया गया था कि इस तरह के ऐप में पैसे खोने के बाद, भारत के विभिन्न हिस्सों में कुछ युवाओं ने आत्महत्या कर ली है।

दिल्ली हाईकोर्ट

इसके अलावा, पिछले महीने, दिल्ली हाईकोर्ट ने भारत और दिल्ली सरकार को निर्देश दिया था कि वे ऑनलाइन गैंबलिंग के खिलाफ दायर एक याचिका का एक प्रतिनिधित्व की तरह मानते हुए याचिका में उल्लिखित शिकायतों का निर्णय करें।

मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की खंडपीठ ने प्रतिवादियों (यूओआई और दिल्ली सरकार) को निर्देश दिया था कि वह मामले के तथ्यों पर लागू कानून, नियमों, विनियमों और सरकार की नीतियों के अनुसार प्रतिनिधित्व पर अपना निर्णय जल्दी से जल्दी लें।

अध्यादेश डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें



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