'तलोजा जेल बीमार और बुजुर्ग कैदियों की देखभाल करने में असमर्थ है': गौतम नवलखा ने हाउस अरेस्ट में रखने की मांग करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया

Update: 2021-09-02 12:03 GMT

बॉम्बे हाईकोर्ट

भीमा कोरेगांव मामले में आरोपी गौतम नवलखा ने हाउस अरेस्ट की मांग करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

70 वर्षीय गौतम नवलखा ने सीने में गांठ और जेल में बुनियादी चिकित्सा और अन्य सुविधाओं की कमी का हवाला देते हुए तलोजा केंद्रीय कारागार से स्थानांतरित करने की मांग की है।

याचिका में कहा गया है,

"तलोजा में बुनियादी ढांचे की भारी कमी है और याचिकाकर्ता जैसे बीमार और बुजुर्ग कैदियों की देखभाल करने में असमर्थ है।"

नवलखा के सह-आरोपी, वृद्ध फादर स्टेन स्वामी की भीमा कोरेगांव मामले में हिरासत में रहने के दौरान इस साल जुलाई में मृत्यु हो गई थी।

नवलखा ने मई 2021 में डिफ़ॉल्ट जमानत देने से इनकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट द्वारा की गई टिप्पणियों पर भरोसा जताया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सीआरपीसी की धारा 167 के तहत कुछ उपयुक्त मामलों में अदालत आरोपी की उम्र, स्वास्थ्य और पूर्ववृत्त को देखते हुए हाउस अरेस्ट करने का आदेश दे सकती है।

गुरुवार को सुनवाई के दौरान, नवलखा के वकील युग चौधरी ने एडवोकेट पायोशी रॉय की सहायता से कहा कि नवलखा के सीने मार्च 2021 में गांठ आ गई है और उसकी जांच की आवश्यकता है और नवलका को इलाज के लिए जसलोक अस्पताल ले जाया जाना चाहिए।

चीफ पीपी अरुणा पई ने कहा कि आरोपी का इलाज टाटा मेमोरियल अस्पताल में किया जा सकता है।

जस्टिस एसएस शिंदे और जस्टिस एनजे जमादार की खंडपीठ ने प्रतिवादियों से दो सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करने और दोपहर के सत्र के दौरान पीठ को सूचित करने को कहा कि क्या नवलखा को गांठ की जांच के लिए एक निजी अस्पताल ले जाया जा सकता है।

महाराष्ट्र पुलिस ने 31 दिसंबर, 2017 को हुई ' एल्गार परिषद 'और भीमा कोरेगांव हिंसा के बाद दर्ज प्राथमिकी के सिलसिले में 28 अगस्त, 2018 को नवलखा को गिरफ्तार किया था। सम्मेलन से जुड़े एक्टिविस्ट और शिक्षाविदों पर देशव्यापी कार्रवाई के माध्यम से, पुलिस ने एक बड़ी माओवादी साजिश का पर्दाफाश करने का दावा किया।

याचिका में कहा गया है,

"मार्च 2021 के आसपास याचिकाकर्ता के सीने के दाहिने हिस्से में एक गांठ विकसित हो गई। यह उसके परिवार में कैंसर के इतिहास को देखते हुए बेहद चिंताजनक है।"

नवलखा ने कहा कि जेल अधिकारियों से बार-बार मौखिक और लिखित अनुरोध के बावजूद, उन्हें जांच के लिए नहीं ले जाया जा रहा है।

याचिका में कहा गया है,

"तलोजा जेल के अधिकारियों की लापरवाही और इनकार के कारण कैदियों की बीमारियों और चिकित्सा संबंधी चिंताओं का निदान नहीं किया जाता है। लंबे समय तक इलाज नहीं किया जाता है।"

नवलखा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बावजूद जेल अधिकारी कैदियों को कुर्सी और चप्पल जैसी आवश्यक वस्तुओं से वंचित करते हैं।

नवलखा ने कहा कि वह अपनी बढ़ती उम्र, कई बीमारियों और कोई आपराधिक पृष्ठभूमि नहीं होने को देखते हुए हाउस अरेस्ट के मानदंडों में पूरी तरह फिट बैठता है।

नवलखा ने अंत में कहा है कि इस मामले में 15 आरोपी हैं और 30,000 पृष्ठों के आरोप पत्र को देखते हुए मुकदमा जल्द ही पूरा होने की संभावना नहीं है। साथ ही आरोपितों को अभी तक इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं कराया गया है।

केस का शीर्षक: गौतम नवलखा बनाम एनआईए

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