"वर्चुअल हियरिंग का स्क्रीनशॉट लेना वास्तविक कोर्ट रूम की फोटो क्लिक करने के समान" : कलकत्ता हाईकोर्ट ने वकील के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू की
हाल ही में कलकत्ता हाईकोर्ट ने माना है कि वुर्चअल कोर्ट की कार्यवाही का स्क्रीनशॉट लेना, वास्तविक अदालत की कार्यवाही की तस्वीर क्लिक करने के समान है।
न्यायमूर्ति राजशेखर मंथा ने एक एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड के खिलाफ स्वत संज्ञान लेते हुए अवमानना की कार्रवाई शुरू की है क्योंकि इस वकील ने वर्चुअल कोर्ट हियरिंग का स्क्रीनशॉट LinkedIn पोस्ट कर दिया था। यह स्क्रीनशॉट उस दिन की हियरिंग का लिया गया था ,जब एकल न्यायाधीश ने शपथ पत्र मांगते हुए एक अनुकूल अंतरिम आदेश पारित किया था। स्क्रीनशॉट के साथ निम्नलिखित भी लिखा गया था-
"We are #happy to#share that we managed to obtain an#Ante‐ #Arbitration#Injunction (ICC Arbitration)in a matter before the Calcutta High Court".
पीठ ने मध्यस्थता की कार्यवाही पर रोक लगाने के लिए अदालत द्वारा दिए गए निर्णय के संबंध में ''मैनेज्ड'' शब्द के उपयोग को भी गंभीरता से लिया है।
न्यायमूर्ति मंथा ने कहा, ''यह मामला मेरे परिवार के एक सदस्य द्वारा मेरे संज्ञान में लाया गया था। जिसे इस बारे में अपने एक सहपाठी से जानकारी मिली थी,जो दूसरे शहर में रहता है।''
पीठ ने कहा कि इस प्रकाशन को देखने के बाद उन्होंने उक्त स्क्रीनशॉट को पक्षकारों के संबंधित वकीलों को भेज किया था।
सिंगल बेंच ने पक्षकारों को संकेत दिया कि स्क्रीनशॉट/प्रकाशन से अनुचित व्यवहार स्पष्ट हो रहा है-
ए- कोर्ट की कार्यवाही का एक स्क्रीनशॉट लिया गया है, जो कोर्ट की अनुमति के बिना इस कोर्ट की कार्यवाही की तस्वीर लेने के समान है।
बी- स्क्रीनशॉट को Linked In नामक वेबसाइट पर बने एक निजी वेब पेज पर प्रकाशित किया गया था। यह प्रकाशन लगभग दो महीने पहले किया गया था और इसके लिए अदालत की अनुमति नहीं ली गई थी।
सी-स्क्रीनशॉट के साथ देखे गए पेज पर लिखी गई बातों से एक कटाक्ष या परोक्ष संकेत स्पष्ट रूप से झलक रहा है।
12 अगस्त को खंडपीठ ने दर्ज किया था कि संबंधित अधिवक्ता ने इस मामले पर गंभीर खेद व्यक्त करते हुए इस तरह का प्रकाशन करने के लिए बिना शर्त माफी भी मांगी थी। साथ ही कहा था कि ''कोई भी कटाक्ष नहीं किया गया था। यह बोनाफाइड रूप से किया गया था और ऐसा करते समय हाईकोर्ट की गरिमा को प्रभावित करने का कोई इरादा नहीं था।''
वादकारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता ने भी प्रकाशन पर चकित होते हुए कहा था कि यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। ''हालांकि, उन्होंने भी यह भी कहा कि प्रकाशन बोनाफाइड है और इस अदालत की गरिमा को प्रभावित करने का कोई इरादा नहीं रखता है।''
यहां तक कि सूट के मूल प्रतिवादियों के लिए पेश वरिष्ठ वकील ने भी प्रस्तुत किया था कि वेबसाइट में इस्तेमाल की जाने वाली भाषा खुशी को जाहिर करती है और ''मैनेज्ड'' शब्द को न्यायालय द्वारा गलत नहीं माना जाना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया था कि अभिव्यक्ति ''मैनेज्ड'' को ''सफल'' के रूप में माना जाना चाहिए।
हालाँकि इसके बाद न्यायमूर्ति मंथी ने अपनी इच्छा व्यक्त करते हुए कहा था कि वह इस मामले को ''इस कोर्ट के बोर्ड से रिलीज करना'' चाहते हैं।
इस पर, प्रतिवादियों की तरफ से आग्रह किया गया था कि न्यायालय के समक्ष इस मामले के संचालन के लिए पर्याप्त संसाधनों का उपयोग हो चुका है। ऐसे में अगर पीठ ने इस मामले को रिलीज कर दिया तो सभी पक्षों को गंभीर नुकसान होगा। उन्होंने न्यायालय में पूर्ण विश्वास व्यक्त किया और बार-बार विनती करते हुए कहा कि वह चाहते हैं कि यही पीठ उनके मामले पर सुनवाई करें और उसके बाद अपना निर्णय सुनाए।
वादकारियों के वरिष्ठ अधिवक्ता ने भी यह आश्वासन दिया था कि उनके एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड इस न्यायालय के समक्ष एक हलफनामे के माध्यम से अपना माफीनामा दाखिल कर देंगे। इतना ही नहीं उनके मुविक्कलों ने भी इस मामले के संचालन में पर्याप्त समय दिया है और खर्च किया है।
इस प्रकाशन पर अपनी ''नाराजगी'' व्यक्त करते हुए और यह देखते हुए कि गलती से ऐसा किया गया है, न्यायमूर्ति मंथा ने दोनों पक्षों द्वारा किए गए अनुरोधों पर विचार करने के बाद मामले पर सुनवाई करने की बात स्वीकार की थी हालांकि इस बात को भी दोहराया था इस कोर्ट को अब इस मामने की सुनवाई नहीं करनी चाहिए।
एकल न्यायाधीश ने रजिस्ट्री को भी निर्देश दिया था कि उक्त एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड के खिलाफ अवमानना का मुकदमा चलाने के लिए स्वत संज्ञान ले। ताकि वह अपने आचरण के बारे में स्पष्टीकरण दे सकें।
मंगलवार को सिंगल जज ने एओआर की तरफ से 19 अगस्त को दायर एक हलफनामे पर विचार किया,जो अदालत के आदेश के अनुसार दायर किया गया था।
न्यायमूर्ति मंथा ने कहा कि,''उन्होंने बिना शर्त माफी मांगी है और स्वीकार किया है कि अदालत की अनुमति के बिना अदालत की कार्यवाही के स्क्रीनशॉट का प्रकाशन गलत था।
उसने यह भी कहा है कि उनके वकील द्वारा सूचित करने के बाद स्क्रीनशॉट को तुरंत हटा दिया गया था। साथ ही यह भी स्पष्ट किया है कि प्रकाशन में दिया गया बयान पूरी तरह से अनजाने में दिया गया था। वह न्यायालय की गरिमा या महिमा को कम नहीं करना चाहता था। इसके लिए उसने माफी भी मांगी है।''
इसी पर विचार करते हुए, पीठ ने निर्देश दिया है कि अवमानना की कार्यवाही को ''इस चेतावनी के साथ खत्म कर दिया जाए कि इस तरह का आचरण भविष्य में न दोहराया जाए।''