सुप्रीम कोर्ट ने पंचायत चुनावों के लिए पश्चिम बंगाल में अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के आंकड़ों का पुनर्मूल्यांकन करने की मांग वाली शुभेंधु अधिकारी की याचिका पर विचार करने से इनकार किया

Update: 2023-04-06 10:27 GMT

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पर्दीवाला की सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने गुरुवार को पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता (LoP) शुभेंदु अधिकारी द्वारा दायर याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के आंकड़ों का फिर से आकलन करने की मांग की गई।

यह देखते हुए कि चुनाव पर रोक लगाना एक 'गंभीर मामला' है, पीठ ने याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।

याचिका के माध्यम से अधिकारी ने कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी, जिसने पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनावों में सीटों के आरक्षण के उद्देश्य से बंगाल राज्य में अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति / पिछड़े वर्गों की जनसंख्या की गणना से संबंधित दो अधिसूचनाओं के खिलाफ उनकी याचिका को खारिज कर दिया था।

अधिकारी का प्रतिनिधित्व सीनियर एडवोकेट पीएस पटवालिया ने किया।

अधिकारी ने अपनी याचिका में दलील दी थी कि एससी/एसटी के लिए दो और ओबीसी के लिए अलग-अलग मापदंड नहीं हो सकते। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि राज्य चुनाव आयोग ने राज्य प्रशासन के साथ मिलकर पंचायत चुनावों में आंकड़ों में हेरफेर कर वर्तमान सत्तारूढ़ पार्टी का पक्ष लिया था।

पश्चिम बंगाल राज्य चुनाव आयोग (WBSEC) ने त्रिस्तरीय पंचायत प्रणाली के लिए चुनाव कराने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। जब अधिकारी ने कलकत्ता हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया तो उसने इस प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।

आज की कार्यवाही में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने पूछा-

" लेकिन हम उन्हें चुनाव कराने से कैसे रोक सकते हैं? यह पहले से ही मई में होने वाला है। "

तदनुसार, अदालत ने कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया और याचिका खारिज कर दी।

केस टाइटल : सुवेंदु अधिकारी बनाम पश्चिम बंगाल राज्य और अन्य। एसएलपी (सी) नंबर 6919/2023

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