सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों के फिजियोलॉजिकल एग्जामिनेशन के लिए मौत की सजा के दो मामलों में निष्पादन पर रोक लगाई

Update: 2022-12-10 10:24 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने इस हफ्ते मौत की सजा के दो मामलों में फांसी पर रोक लगा दी। इसके अलावा, मनोज बनाम मध्य प्रदेश राज्य में निर्धारित सिद्धांत का पालन करते हुए कोर्ट ने अभियुक्तों (सामीवेल और दीन दयाल तिवारी) के फिजियोलॉजिकल एग्जामिनेशन का निर्देश दिया।

सीजेआई जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला खंडपीठ ने दोनों मामलों पर उक्त आदेश दिया।

खंडपीठ ने संबंधित राज्य (उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु) को समीवेल और दीन दयाल से संबंधित सभी परिवीक्षा अधिकारियों की रिपोर्ट आठ सप्ताह की अवधि के भीतर दाखिल करने का निर्देश दिया। संबंधित जेलों के अधीक्षक को जेल में आरोपी द्वारा किए गए कार्य की प्रकृति पर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा गया। पिछले आठ सप्ताह से जेल में आरोपियों के आचरण और व्यवहार के संबंध में अन्य रिपोर्ट भी मांगी गई।

सुप्रीम कोर्ट ने मदुरै मेडिकल कॉलेज के मनोरोग विभाग के प्रमुख और किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी, लखनऊ के प्रमुख को क्रमश: सामिवेल और दीन दयाल के फिजियोलॉजिकल एग्जामिनेशन के लिए टीम गठित करने के लिए कहा।

सैमीवेल के मामले में बेंच ने प्रोजेक्ट 39ए, नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, दिल्ली की कैथरीन डेबोरा जॉय को अपीलकर्ता के फिजियोलॉजिकल एग्जामिनेशन के संबंध में रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए उनसे संपर्क करने की अनुमति दी। दीन दयाल के लिए वही अनुमति संबंधित मनोवैज्ञानिक को दी गई।

दोनों मामलों को एक दिन के अलावा [दीन दयाल तिवारी बनाम यूपी राज्य (07.12.2022) और समिवेल बनाम तमिलनाडु राज्य (08.12.2022)] को आठ सप्ताह के बाद सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया गया।

[केस टाइटल: दीन दयाल तिवारी बनाम यूपी राज्य एसएलपी (सीआरएल) नंबर 24153/2022 और समिवेल @ राजा बनाम तमिलनाडु राज्य एसएलपी (सीआरएल) नंबर 26241/2022]

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