छात्रों को 15 अगस्त तक न तो ऑनलाइन क्लास की सुविधा लेने से रोका जाएगा और न ही उन्हें ऑनलाइन परीक्षा में बैठने से मना किया जाएगा : कलकत्ता हाईकोर्ट

Update: 2020-07-24 04:45 GMT

Calcutta High Court

कलकत्ता हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर मांग की गई है कि निजी और अन एडेड स्कूलों में पंजीकृत छात्रों को ऑनलाइन क्लास की सुविधा उठाने से नहीं रोका जाए और न ही उन्हें ऑनलाइन परीक्षा में भाग लेने से रोका जाए।

कलकत्ता हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति संजीब बनर्जी और मौशमी भट्टाचार्या की खंडपीठ ने मंगलवार को इस याचिका पर निर्देश जारी किये :

a. इसमें शामिल 112 स्कूलों में से सभी स्कूल ऑनलाइन क्लासेज़ बिना किसी शर्त के 15 अगस्त 2020 तक चलाते रहेंगे।

b. इन 112 स्कूलों में से कोई भी स्कूल 15 अगस्त 2020 तक किसी भी छात्र को ऑनलाइन परीक्षा में भाग लेने से नहीं रोकेंगे।

c. ये निर्देश सभी क्लास और सभी कोर्सों पर लागू होंगे।

d. हर छात्र को 31 जुलाई 2020 तक उन पर बकाया फ़ीस का 80% तक 15 अगस्त 2020 तक जमा कराना होगा ।

e. जिन्हें ऑनलाइन कोर्स या ऑनलाइन परीक्षाओं में शामिल होने से पहले ही रोक दिया गया है, उनकी पूर्व की स्थिति बहाल कर दी जाएगी।

f. यह उम्मीद की जाती है कि जिन छात्रों ने फ़ीस नहीं दिए हैं वे अगर इसके बड़े हिस्से का भुगतान कर देते हैं तो वह स्कूल फ़ीस भुगतान में थोड़ी कमी की वजह से ऑनलाइन कोर्सेज़ को बंद नहीं करेगा।

याचिकाकर्ता शहर के 110 से ज़्यादा निजी, अन एडेड स्कूलों के 15,000 से अधिक छात्रों के अभिभावकों का प्रतिनिधित्व करता है।

याचिकाकर्ताओं का मुख्य मुद्दा यह था कि शहर और राज्य के अन्य जगह के निजी, अनेडेड स्कूल नियमित फ़ीस चुकाने की लगातार माँग कर रहे हैं जबकि पिछले चार महीनों में स्कूल चले ही नहीं हैं। याचिका में अभिभावकों ने स्कूल के खर्चे में कमी के कारण फ़ीस में उचित कमी की माँग की थी। इन लोगों ने या आरोप भी लगाया है कि जिन छात्रों ने फ़ीस जमा नहीं किए उन्हें ऑनलाइन पढ़ाई में भाग नहीं लेने दिया जा रहा है और न ही ऑनलाइन परीक्षा देने की उन्हें अनुमति है।

महाधिवक्ता ने कहा कि सरकार ने नोटिस जारी कर निजी और अनेडेड स्कूलों से फ़ीस नहीं बढ़ाने और छात्रों को फ़ीस में छूट देने को कहता रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि निजी और अनेडेड स्कूलों ने अपने कर्मचारियों और शिक्षकों को उस अवधि के लिए वेतन का भुगतान किया है जब स्कूल नहीं चल रहे थे।

अदालत ने कहा कि उसके समक्ष याचिका के साथ या वैसे इस बात के कोई सबूत पेश नहीं किए गए हैं न ही इस बात का कोई साक्ष्य है कि 112 स्कूल जो इस मामले से संबद्ध हैं, उन्होंने अपने कर्मचारियों को पूरा या कम वेतन का भुगतान किया है।

कोर्ट ने कहा कि चूंकि ये 112 स्कूल जिनक बोर्डों या परिषदों से संबद्ध हैं उनके प्रतिनिधि यहां नहीं हैं इसलिए वह यह सुनिश्चित कर सकता कि ये प्राधिकरण इन स्कूलों को फ़ीस में कमी करने के लिए कह सकते हैं या नहीं।

इसलिए पीठ ने निर्देश दिया कि इस आदेश की प्रति उन सभी परिषदों या बोर्डों को भेज दिया जाए जिनसे ये संबद्ध हैं ताकि वे इस बारे में अपना जवाब दे सकें। इसके अलावा इस मामले से संबद्ध सभी 112 स्कूलों को भी आदेश की प्रति भेजने का निर्देश दिया गया।

कोर्ट ने कहा कि 112 स्कूलों को अगली सुनवाई में अपने प्रतिनिधि भेजने की स्वतंत्रता होगी। इन्हें अपने हलफ़नामे में यह बताना होगा कि उन्होंने अपने सभी कर्मचारियों को लॉकडाउन की अवधि में कितना वेतन दिया है और वे छात्रों को फ़ीस पर कितनी छूट दे सकते हैं। राज्य सरकार को भी हलफ़नामे के माध्यम से अपनी सभी अधिसूचनाओं का ब्योरा देना होगा। 

आदेश की प्रति डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें




Tags:    

Similar News