पांच साल में बार-बार मौके गंवाने पर बॉम्बे हाईकोर्ट नाराज़, आरोपी पर 50,000 का जुर्माना
बॉम्बे हाईकोर्ट ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत चल रहे मामले में गवाह से क्रॉस-एक्जामिनेशन करने का मौका बार-बार गंवाने वाले आरोपी पर सख्त रुख अपनाते हुए उसकी याचिका खारिज कर दी और 50,000 का जुर्माना लगाया।
जस्टिस किशोर सी. संत की एकल पीठ उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें ट्रायल कोर्ट द्वारा पारित 'नो क्रॉस' आदेश को चुनौती दी गई। आरोपी को पांच साल के दौरान कई बार मुख्य गवाह से क्रॉस-एक्जामिनेशन करने का मौका मिला लेकिन हर बार या तो वह या उसका वकील अनुपस्थित रहा।
हाईकोर्ट ने कहा कि आरोपी ने अदालत की कार्यवाही को हल्के में लिया और बार-बार समय बर्बाद किया।
अदालत ने टिप्पणी की,
“सिर्फ यह कह देना कि मौका नहीं मिला तो अपूरणीय क्षति होगी, पर्याप्त नहीं है। इस मामले में आरोपी ने सचमुच अदालत के साथ खेल किया है। ऐसी हरकत अदालत की कार्यवाही के प्रति घोर अनादर दिखाती है।”
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस तरह के मामलों में नरमी दिखाना गलत प्रथाओं को बढ़ावा देने जैसा होगा और न्यायालय का मज़ाक बनाने के बराबर होगा।
आदेश में कहा गया कि 50,000 का जुर्माना चार हफ्तों के भीतर जिला विधिक सेवा केंद्र औरंगाबाद में जमा किया जाए। ट्रायल कोर्ट को 2018 से लंबित इस मुकदमे को तीन महीने में निपटाने का निर्देश दिया।