'कठोर दायित्व': मद्रास हाईकोर्ट ने एक नवजात शिशु का अंगूठा कथित तौर पर नर्स की लापरवाही से कटने के कारण उसके माता-पिता को अंतरिम मुआवजा देने का आदेश दिया
मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै खंडपीठ ने तमिलनाडु सरकार को नवजात शिशु के माता-पिता को 75,000 रुपये का अंतरिम मुआवजा देने का निर्देश दिया, जिसका अंगूठा कथित तौर पर सरकारी राजा मिरासदार अस्पताल, तंजावुर में एक स्टाफ नर्स की लापरवाही के कारण कट गया था।
न्यायमूर्ति एन आनंद वेंकटेश की एकल पीठ ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि बच्चे को स्पेशल सर्जरी के लिए मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल में भर्ती कराया जाए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि बच्चा स्थायी विकलांगता से पीड़ित न हो।
पूरा मामला
जन्मजात विसंगतियों (Congenital Anomalies) से पीड़ित होने के कारण एक नवजात को सरकारी राजा मिरासदार अस्पताल, तंजावुर में भर्ती कराया गया। एक दिन जब बच्ची के माता-पिता उस वार्ड में आए, जहां बच्चे को भर्ती कराया गया था, तो उन्होंने देखा कि बाएं हाथ का अंगूठा फर्श पर पड़ा हुआ है और खून बह रहा था।
माता-पिता ने पाया कि अस्पताल की एक स्टाफ नर्स ने सर्जिकल टेप से लिपटे बाएं अंगूठे से बाल चिकित्सा वेनफ्लोन (कैनुला) को हटाते समय बच्चे के बाएं हाथ के अंगूठे का एक हिस्सा कट गया। डॉक्टरों ने कटे हुए अंगूठे को जोड़ने के लिए तत्काल सर्जरी की। इसके अलावा डॉक्टरों के एक पैनल द्वारा बच्चे को निगरानी में रखा गया और प्लास्टिक सर्जन द्वारा एक बाल रोग सर्जन के साथ ऑपरेशन किया गया।
तमिलनाडु सरकार के वकील ने अदालत को सूचित किया कि एक जांच समिति ने माता-पिता और नर्स स्टाफ से पूछताछ की और अपनी रिपोर्ट दूसरे प्रतिवादी को भेज दी। सरकारी अधिवक्ता ने न्यायालय के समक्ष यह भी प्रस्तुत किया कि मुआवजे के लिए माता-पिता के अनुरोध को पहले ही सरकार को भेज दिया गया है और सक्रिय रूप से विचाराधीन है।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील का तर्क है कि सर्जरी के बावजूद अंगूठा ठीक से नहीं जुड़ा है, जिससे बच्चा स्थायी रूप से विकलांग हो सकता है। उन्होंने सरकार को बच्चे को मल्टी-स्पेशलिटी अस्पताल में स्थानांतरित करने का निर्देश देने की प्रार्थना की, जहां बच्चे के अंगूठे को ठीक करने का प्रयास किया जा सके, इसे सामान्य स्थिति में लाया जा सके।
याचिकाकर्ता के वकील ने यह भी तर्क दिया कि बच्चे के हाथ से अत्यधिक खून बहने के दौरान कटे हुए अंगूठे को जमीन पर देखने से माता-पिता को बहुत आघात और मानसिक पीड़ा हुई है।
कोर्ट ने कहा कि इस प्रकृति के मामलों में कठोर दायित्व (Strict Liability) सिद्धांत, जिसे रायलैंड बनाम फ्लेचर सिद्धांत (Rylands Vs.Fletcher Doctrine) भी कहा जाता है, अनिवार्य रूप से लागू होता है।
कोर्ट ने कहा कि,
"इस तरह की घटना प्रथम दृष्टया यह दर्शाती है कि लापरवाही हुई है और इसलिए सरकार द्वारा बच्चे के माता-पिता को कुछ अंतरिम मुआवजे का भुगतान किया जाना चाहिए। कल्याणकारी राज्य में सरकार से ऐसी सकारात्मक प्रतिक्रिया की उम्मीद है।"