भारतीय चुनाव आयोग (ECI) ने शुक्रवार को मद्रास हाईकोर्ट को सूचित किया कि तमिलनाडु मतदाता सूचियों का विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) एक सप्ताह में शुरू होगा।
यह दलील चीफ जस्टिस मनिंद्र मोहन श्रीवास्तव और जस्टिस जी अरुल मुरुगन की खंडपीठ के समक्ष दी गई। अदालत पूर्व AIADMK विधायक बी सत्यनारायणन द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें चुनाव आयोग को टी नगर निर्वाचन क्षेत्र के 229 मतदान केंद्रों का पूर्ण और पारदर्शी पुनरीक्षण करने का निर्देश देने की मांग की गई थी।
खंडपीठ के समक्ष उपस्थित हुए ECI के स्थायी काउंसलर निरंजन राजगोपाल ने दलील दी कि तमिलनाडु मतदाता सूचियों का विशेष पुनरीक्षण (SIR) एक सप्ताह में शुरू होगा। इस पुनरीक्षण के माध्यम से याचिकाकर्ता की शिकायत का प्रभावी ढंग से समाधान किया जाएगा। अदालत ने दलीलों पर गौर किया और मामले की सुनवाई एक सप्ताह के लिए स्थगित कर दी।
टी. नगर निर्वाचन क्षेत्र से 2021 का विधानसभा चुनाव लड़ने वाले सत्यनारायणन ने आरोप लगाया था कि मतदाता सूची के रखरखाव में व्यवस्थित रूप से चूक हुई। उन्होंने तर्क दिया कि वह 2021 का चुनाव मात्र 137 वोटों से हार गए और ऐसा टी. नगर में वास्तविक मतदाताओं के बड़े पैमाने पर नाम हटाए जाने के कारण हुआ था।
उन्होंने तर्क दिया कि राज्य चुनाव आयोग का कानूनी और संवैधानिक दायित्व है कि वह निर्वाचन क्षेत्र की मतदाता सूची का जनगणना/जनसंख्या आंकड़ों के आधार पर जनसांख्यिकीय ऑडिट करे, गलत तरीके से हटाए गए नामों को सही करे और पात्र नागरिकों का नाम सूची में शामिल करना सुनिश्चित करे।
उन्होंने आगे कहा कि उन्होंने 229 में से 100 बूथों का घर-घर जाकर सत्यापन किया और पाया कि वहां डुप्लिकेट/दोहरी प्रविष्टियां, अनिवासी मतदाताओं का नाम सूची में शामिल होना और मृत मतदाताओं का नाम सूची में शामिल होना पाया गया। उन्होंने आगे कहा कि हालांकि ये रिपोर्ट ECI को सौंपी गईं, लेकिन वे इनका सत्यापन करने में बुरी तरह विफल रहे हैं और मृत मतदाताओं को हटाने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गई।
सत्यनारायणन ने आगे कहा कि बीएलओ ने वास्तविक क्षेत्र भ्रमण किए बिना ही रिपोर्ट तैयार कर ली है, जिससे मतदाता सत्यापन का मूल उद्देश्य ही विफल हो गया। उन्होंने कहा कि यह लापरवाही न केवल अकुशलता है, बल्कि कर्तव्य की गंभीर उपेक्षा भी है। ऐसी विसंगतियों की अनुमति देने से अंतिम मतदाता सूची की अखंडता को खतरा होगा, जिससे आगामी चुनावों की निष्पक्षता प्रभावित होगी।
सत्यनारायणन ने कहा कि ECI की कार्रवाई जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 के प्रावधानों और संविधान के अनुच्छेद 326 के तहत प्रदत्त मताधिकार के विरुद्ध है। उन्होंने आगे कहा कि अधिकारियों की कार्रवाई ECI के अपने दिशानिर्देशों और निर्देशों का भी उल्लंघन करती है।
इस प्रकार, यह कहते हुए कि ECI द्वारा निर्णायक कार्रवाई न करने से न केवल चुनावी कदाचार को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया में जनता का विश्वास भी कम होगा, याचिकाकर्ता ने गलत प्रविष्टियों और विलोपनों को सुधारने के लिए पुनः सत्यापन करने के लिए चुनाव आयोग को निर्देश देने की मांग की।
Case Title: B Sathyanarayanan v. The Chief Election Commissioner and Another