'यह महामारी नहीं बनना चाहिए': त्रिपुरा हाईकोर्ट ने राज्य को जेलों में बंद कैदियों की एचआईवी जांच और उपचार सुनिश्चित कराने का निर्देश दिया

Update: 2021-10-22 02:30 GMT

त्रिपुरा हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और केंद्र को निर्देश दिया कि राज्य भर की जेलों में एचआईवी के प्रसार को रोकने के लिए एड्स कंट्रोल सोसाइटी के सहयोग से अपने अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दें।

नियुक्त चीफ जस्टिस इंद्रजीत महंती और जस्टिस सुभाशीष तालापात्रा की पीठ ने इस मुद्दे पर स्वत: संज्ञान लिया था। उन्होंने केंद्र और राज्य सरकारों को निर्देश दिया कि वे राज्य की जेलों में बंद सभी लोगों, जिनमें सजायाफ्ता कैदी और विचाराधीन कैदी सभी शामिल हों, जो एचआईवी पीड़ित हो सकते हैं, उन पर गहन शोध करवाएं।

कोर्ट ने कहा, 'यदि कोई पीड़ित पाया जाता है तो उसके इलाज और देखभाल के लिए कानून के अनुसार उचित निर्णय लें।'

मामले में अधिकारियों को तत्काल सभी उचित कदम उठाने का निर्देश दिया गया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि राज्य भर की जेलों में एचआईवी पीड़ित व्यक्तियों को महामारी की संभावना से रोकने के लिए पर्याप्त उपाय किए जा सकें।

इस संबंध में 9 नवंबर को संबंधित अधिकारियों को एक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया गया था। इसके अलावा, वकील परोमिता धर को मामले में न्याय मित्र के रूप में नियुक्त किया गया है।

पीठ ने आगे राज्य को निर्देश दिया कि अधिवक्ता परोमिता धर को पूर्व सूचना पर जेलों का दौरा करने की अनुमति दी जाए और महानिरीक्षक (जेल) को इस संबंध में सभी आवश्यक सहायता प्रदान करने का आदेश दिया गया।

कोर्ट ने आगे कहा, "हम एमिकस को निर्देश देत हैं कि इस तरह काम के लिए जो कुछ भी खर्च वह वहन करती हैं, उनका बिल जमा कर दें। उनकी प्रतिपूर्ति न्यायालय की रजिस्ट्री द्वारा की जाएगी।"

मामले की अगली सुनवाई 12 नवंबर को होनी है ।

केस शीर्षक: कोर्ट ऑन इट्स ओन मोशन बनाम त्रिपुरा राज्य और अन्य

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