बेंगलुरु में सत्र न्यायालय ने दिया आदेश, बंधुआ मजदूर के मामले में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कराया जाए पीड़ितों का बयान
देश में बंधुआ मजदूर के मामलों में या कम से कम कर्नाटक राज्य में यह पहला मामला हो सकता है, जब बेंगलुरु शहरी जिले के अनेकाल में स्थित एक सत्र न्यायालय ने श्रम तस्करी और बंधुआ मजदूरी के एक मामले में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से तीन पीड़ितों के बयान उनके गृह जिले बलांगीर, ओडिशा से दर्ज करने की अनुमति दी है।
अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश सैय्यद बलेगुर रहमान ने 20 नवंबर, 2019 को उक्त आदेश पारित किया, जिसमें सिविल कोर्ट, बलांगीर के रजिस्ट्रार को निर्देश दिया है कि वे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधा की व्यवस्था करें और तीनों पीड़ितों सुशील जाल, उसकी पत्नी सुमित्रा और उनकी 7 साल की बेटी उर्मिला की उपस्थिति सुनिश्चित करें। न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया है कि यदि पीड़ित कन्नड़ बोलने में असमर्थ हैं, तो रजिस्ट्रार एक अनुवादक की व्यवस्था भी करें।
मामला वर्ष 2014 का है, जब ओडिशा के बलांगीर के तीन परिवारों से जुड़े 11 लोगों की तस्करी की गई थी और अनेकाल में एक ईंट भट्टे में बंधुआ मजदूर के रूप में काम करने के लिए मजबूर किया गया था।
9 अक्टूबर 2014 को पीड़ितों को बचाया गया था और ईंट भट्ठा के मालिक को कर्नाटक पुलिस के साथ एंटी-ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट (एएचटीयू) द्वारा गिरफ्तार किया गया था।
उक्त मामले को अंतर्राष्ट्रीय न्याय मिशन (इंटरनेशनल जस्टिस मिशन), बैंगलोर, एक एनजीओ द्वारा एएचटीयू के ध्यान में लाया गया था। यह एनजीओ बंधुआ मजदूरी के पीड़ितों और मानव तस्करी जैसे हिंसक उत्पीड़न के अन्य रूपों के शिकार लोगों के लिए न्याय को सुरक्षित करने या दिलाने के लिए सार्वजनिक न्याय प्रणाली की सहायता करती है।
उक्त आदेश महत्वपूर्ण है और ऐसे मामलों के त्वरित निपटान को सुनिश्चित करने के लिए लंबा रास्ता तय करेगा। इस आदेश का उपयोग बंधुआ मजदूरी और श्रम तस्करी के अन्य मामलों में एक मिसाल के रूप में किया जा सकता है, जहां पीड़ित वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग जैसे सुविधाजनक, कम लागत व परेशानी से मुक्त तरीके के माध्यम से बयान दर्ज करा सकते हैं।