'गंभीर संवैधानिक मुद्दे': दिल्ली हाईकोर्ट ने जूनियर ज्यूडिशियल असिस्टेंट की नियुक्ति के खिलाफ दायर याचिका में एजी वेंकटरमणी से सहायता मांगी
दिल्ली हाईकोर्ट ने अदालत में वर्तमान में कार्यरत 50 जूनियर ज्यूडिशियल असिस्टेंट की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका में भारत के अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी से सहायता मांगी।
जस्टिस मनमोहन और जस्टिस मिनी पुष्करणा की खंडपीठ ने कहा कि उक्त याचिका हाईकोर्ट के सेवारत कर्मचारियों द्वारा दायर की गई है। इस याचिका में गंभीर संवैधानिक और प्रशासनिक मुद्दा उठाए गए हैं। इसलिए मामले में एमिक्स क्यूरी के रूप में वेंकटरमणी की सहायता का अनुरोध किया गया है।
याचिकाकर्ता-कर्मचारियों की ओर से पेश वकील ने कहा कि जूनियर ज्यूडिशियल असिस्टेंट को 2012 में केवल मासिक समेकित वेतन पर एक वर्ष के लिए अनुबंध के आधार पर "डेटा एंट्री ऑपरेटर" के रूप में नियुक्त किया गया था। इसमें यह शर्त भी शामिल थी कि उन्हें "डेटा एंट्री ऑपरेटर्स" के रूप में नियमितीकरण का दावा करने का अधिकार नहीं होगा।
यह तर्क दिया गया कि उक्त पद के लिए भर्ती नियमों का उल्लंघन करके उन्हें "जूनियर ज्यूडिशियल असिस्टेंट (डेटा एंट्री) एक्स-कैडर" के पद पर नियुक्त या नियमित किया गया।
याचिकाकर्ताओं का मामला है कि हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल द्वारा उत्तरदाताओं को जूनियर ज्यूडिशियल असिस्टेंट (डेटा एंट्री) पूर्व-कैडर के रूप में नियमित करना कानून के अनुसार नहीं है।
दूसरी ओर, हाईकोर्ट एडमिनिस्ट्रेशन की ओर से पेश वकील ने कहा कि रिट याचिका सुनवाई योग्य नहीं है, क्योंकि यह जनहित याचिका की प्रकृति में है। इसलिए खारिज की जा सकती है।
यह भी प्रस्तुत किया गया कि बिना किसी पदोन्नति लाभ के पूर्व-कैडर पद पर डेटा एंट्री ऑपरेटरों को दिए गए नियमितीकरण से याचिकाकर्ता पदोन्नति के रास्ते या सीनियरिटी के संदर्भ में किसी भी तरह से प्रभावित नहीं हुए।
वकील ने यह भी तर्क दिया कि डेटा एंट्री ऑपरेटरों को जूनियर ज्यूडिशियल असिस्टेंट (डेटा एंट्री) के नव-निर्मित एक्स-कैडर पद पर नियमित किया गया। इसके लिए कोई भर्ती नियम निर्धारित नहीं किए गए।
अदालत ने कहा,
“पक्षकारों के वकील को सुनने के बाद इस न्यायालय की राय है कि वर्तमान रिट याचिका गंभीर संवैधानिक और प्रशासनिक मुद्दों को उठाती है। यह न्यायालय अटॉर्नी जनरल से इस न्यायालय की सहायता करने का अनुरोध करता है।”
खंडपीठ ने मामले को 21 सितंबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया। प्रतिवादियों को दो सप्ताह के भीतर अतिरिक्त हलफनामा दाखिल करने की छूट दी।
केस टाइटल: मीनाक्षी चौधरी और अन्य बनाम दिल्ली हाईकोर्ट रजिस्ट्रार जनरल और अन्य के माध्यम से
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