हाईकोर्ट के वरिष्ठतम जजों को चीफ जस्टिस के रूप में नियुक्त होने का संवैधानिक अधिकार है: पूर्व सीजेआई जीबी पटनायक
पूर्व सीजेआई जस्टिस गोपाल बल्लभ पटनायक ने कहा है कि प्रत्येक हाईकोर्ट के वरिष्ठतम जज को हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के रूप में नियुक्त होने का संवैधानिक अधिकार है। आगे कहा कि केवल ट्रांसफर पॉलिसी लागू होने के कारण नियुक्ति करने वाले अधिकारियों को जजों की वरिष्ठता की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए।
उन्होंने ये भी कहा,
"ये कैसे संभव है कि एक ही हाईकोर्ट के दो या तीन से अधिक जज विभिन्न हाईकोर्ट्स के चीफ जस्टिस हों और उड़ीसा हाईकोर्ट सहित कई उच्च न्यायालय मुख्य न्यायाधीश के बिना जा रहे हों। मैं खुद मुख्य न्यायाधीश केवल चार साल बाद बना जब इस अदालत से कोई मुख्य न्यायाधीश नहीं था।"
जस्टिस पटनायक शनिवार को उड़ीसा उच्च न्यायालय के 75वें वर्षगांठ समारोह के एक हिस्से के रूप में पूर्व मुख्य न्यायाधीशों और न्यायाधीशों के सम्मान समारोह में बोल रहे थे। इस कार्यक्रम में जस्टिस बीआर गवई, जज, सुप्रीम कोर्ट और जस्टिस दीपक मिश्रा, पूर्व सीजेआई सहित कई गणमान्य लोग शामिल थे।
उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों और सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति के मामलों में उड़ीसा उच्च न्यायालय के अपर्याप्त प्रतिनिधित्व पर गहरी नाराज़गी व्यक्त करते हुए जस्टिस पटनायक ने कहा,
"मामले के शीर्ष पर लोग, चाहे वह दूसरे न्यायाधीशों के मामले से पहले की कार्यकारी सरकार हो या दूसरे न्यायाधीशों के मामले के बाद का कॉलेजियम हो, जो भी नियुक्ति प्राधिकारी रहा हो, उड़ीसा उच्च न्यायालय को मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति और सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नति के के मामले में नजरअंदाज किया जा रहा है।"
आगे उन्होंने कहा,
"जब 2001 में, इस उच्च न्यायालय से हम में से तीन [स्वयं, जस्टिस देबा प्रिया महापात्रा और जस्टिस अरिजीत पसायत] को 12 जजों की शक्ति के साथ सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नत किया जा सकता है, तो यह कैसे हो सकता है कि पिछले चार वर्षों से सुप्रीम कोर्ट में इस कोर्ट से कोई नहीं?”
उल्लेखनीय है कि अक्टूबर, 2018 में 45वें सीजेआई न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की सेवानिवृत्ति के बाद से उड़ीसा हाईकोर्ट का सुप्रीम कोर्ट में कोई प्रतिनिधित्व नहीं है।
जस्टिस पटनायक ने एक और अहम मुद्दा उठाते हुए कहा कि जब वे उड़ीसा हाई कोर्ट के जज थे, तब सिर्फ एक ही महिला जज थीं- जस्टिस अमिय कुमारी पाढ़ी। साथ ही, आज जब हाईकोर्ट में जजों की संख्या दोगुनी हो गई है, फिर भी केवल एक महिला जज (जस्टिस सावित्री राठो) हैं। उन्होंने आग्रह किया कि महिला जजों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए।