RT-PCR टेस्ट वांछित दर पर नहीं; रेमडेसिवीर इंजेक्शन का अवैध व्यापार हो रहा हैः पटना हाईकोर्ट ने बिहार में COVID प्रबंधन पर चिंता व्यक्त की

Update: 2021-04-20 10:15 GMT

पटना हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के COVID19 मामलों में आए हालिया उछाल को संभालने के तरीके पर चिंता व्यक्त की है।

जस्टिस सीएस सिंह और जस्टिस मोहित कुमार शाह की डिवीजन बेंच ने कहा कि COVID अस्पताल के बेड, ऑक्सीजन सिलेंडर आदि की कमी के अलावा राज्य सरकार उन लोगों पर भी नजर नहीं रख रही है जो बाहर से यात्रा करके राज्य में आ रहे हैं, जो इस घातक वायरस के संभावित वाहक हो सकते हैं।

शुक्रवार को दिए आदेश में पीठ ने कहा था कि,

''राज्य-प्रतिवादियों से न्यूनतम अपेक्षा की जाती है कि वे सभी संभव उपाय करें ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि राज्य के बाहर से आने वाले व्यक्तियों का या तो रैपिड एंटीजन टेस्ट किया जाए या वे उनके पास उपलब्ध ऐसी परीक्षण रिपोर्ट दिखा पाएं,जिसमें वे कोरोना नेगेटिव हैं। यदि कोई व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव पाया जाता है, तो यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए कि वह पर्याप्त और वांछित देखभाल और सावधानी के साथ अलगाव या उपचार के लिए निर्दिष्ट स्थान पर पहुंच सके।''

कोर्ट COVID19 मामलों में लगातार वृद्धि और राज्य में स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी ढांचे की कमी के बारे में एक स्वतःसंज्ञान मामले की सुनवाई कर रही है।

कोर्ट ने सरकार को राज्य में COVID देखभाल केंद्रों और डेडिकेटिड COVID स्वास्थ्य केंद्रों में उपलब्ध मैनपावर और अन्य बुनियादी ढांचे के बारे में एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।

कोरोना के उपचार के लिए रोगी इधर-उधर भाग रहे हैं

कोर्ट ने पाया कि एक तरफ कोरोना के इलाज के लिए अस्पतालों में भर्ती होने के लिए मरीज इधर-उधर भाग रहे हैं और दूसरी ओर, स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रस्तुत आंकड़े दर्शाते हैं कि बड़ी संख्या में कोरोना के रोगियों के लिए उपलब्ध बेड खाली पड़े हैं।

पीठ ने कहा कि,''इस चैंकाने वाली घटना की व्याख्या करने के लिए कोई स्वीकार्य तर्क सामने नहीं आ रहा है, क्योंकि राज्य में रोगियों को बेड की अनुपलब्धता के कारण भर्ती करने से मना किया जा रहा है, हालांकि, राज्य के सभी जिलों में ऐसी सुविधाओं की उपलब्धता के बारे में प्रभावित लोगों में जागरूकता की कमी भी इसका एक संभावित कारण बन रही है। शायद इसलिए लोग आवेश में आकर पटना के अस्पतालों की तरफ भाग रहे हैं।''

वहीं न्यायालय को सूचित किया गया था कि कोर्ट द्वारा पूर्व में दिए गए आदेश के अनुसार राज्य की तरफ से दैनिक मीडिया ब्रीफिंग शुरू कर दी गई है,जिसमें सभी स्थानों पर कोरोना रोगियों के इलाज के लिए उपलब्ध सुविधाओं और ढांचे संबंधी जानकारी दी जाती है। इस पर न्यायालय ने कहा किः

''प्रतिवादी बिहार के लोगों को राज्य में स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं की उपलब्धता/ गैर-उपलब्धता के बारे में सूचित करने में सक्षम नहीं है। बिहार राज्य को निर्देश दिया जाता है कि इस संबंध में सभी प्रासंगिक जानकारी इस उद्देश्य के लिए समर्पित एक पोर्टल पर प्रकाशित करें।''

चिकित्सा सुविधाओं में कमी

सुनवाई के दौरान, यह भी बताया गया कि RT-PCR टेस्ट वांछित/पहले से तय दर पर नहीं किए जा रहे हैं।

न्यायालय को सूचित किया गया कि बिहार राज्य में प्रतिदिन औसतन 40,000 RT-PCR टेस्ट किए जा रहे हैं। यह भी प्रस्तुत किया गया था कि राज्य के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में 18 प्रयोगशालाएँ हैं जिनमें आरटी-पीसीआर टेस्ट करने की मशीनें हैं। इसके अलावा, पांच निजी प्रयोगशालाओं को इस तरह के टेस्ट करने की अनुमति दी गई है।

कोर्ट ने कहा कि,

''राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देशित किया जाता है कि कम से कम इन तीन जिलों, अर्थात, मोतिहारी, पूर्णिया और मुंगेर में, प्रयोगशालाएँ टेस्ट की संख्या बढ़ाने के लिए कार्य करना शुरू कर दें ... न्यायालय प्रतिवादियों से अपेक्षा करती है कि वह RT-PCRटेस्ट की गति बढ़ाएंगे।''

ऑक्सीजन सिलेंडर

खंडपीठ ने कहा कि राज्य में चिकित्सा ऑक्सीजन की भारी कमी है, जो भर्ती होने वाले कोरोना के मरीजों के इलाज के लिए सबसे आवश्यक घटक है। हालाँकि, राज्य सरकार के आंकड़ों के अनुसार, काफी संख्या में बेड ऑक्सीजन के साथ उपलब्ध हैं।

पीठ ने कहा कि, ''यह विरोधाभास अस्पष्ट है।''

यह बताया गया कि सरकार ने पड़ोसी राज्य झारखंड से तरल गैस मंगवाई है और वह अस्पतालों में दबाव स्विंग अवशोषण (पीएसए) संयंत्रों की स्थापना के लिए कड़े उपाय कर रही है।

बेंच ने बिहार राज्य स्वास्थ्य सोसाइटी के कार्यकारी निदेशक को आदेश दिया है कि वह पीएसए संयंत्रों की स्थापना की प्रगति के संबंध में एक रिपोर्ट प्रस्तुत करें। उन्हें हाई फ्लो नेजल कैनुला (एचएफएनसी) की खरीद की संभावना का पता लगाने और एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए भी कहा गया है क्योंकि इसे एक्यूट हाइपोक्सिमिक रेस्परटाॅरी फेल्यर यानी एएचआरएफ वाले रोगियों में ऑक्सीजन में सुधार के लिए प्रभावी बताया गया है।

सीटी-स्कैन और एक्स-रे

खंडपीठ ने कहा कि कोरोना के रोगियों के स्वास्थ्य की स्थिति के मूल्यांकन और किसी निश्चित स्थिति में उपचार की लाइन तय करने के लिए सीटी- स्कैन और एक्स-रे मशीनों की आवश्यकता है।

यह बताया गया कि राज्य सरकार के विभाग ने डीसीएचसी के लिए पोर्टेबल एक्स-रे मशीनों खरीदने के आदेश दिए हैं और उनमें से कम से कम 20 एक महीने के भीतर स्थापित कर दी जाएंगी।

न्यायालय ने राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि पोर्टेबल एक्स-रे मशीनों को सकारात्मक रूप से अधिग्रहित किया जाए और पूर्वोक्त अवधि के भीतर स्थापित कर दिया जाए।

सीटी स्कैन मशीनों की उपलब्धता के संबंध में, न्यायालय को बताया गया कि बिहार राज्य के कम से कम 16 जिला अस्पतालों में सीटी स्कैन मशीनें उपलब्ध हैं और 14 अन्य जिलों के लिए लेटर ऑफ इंटेंट (एलओआई) जारी किए गए हैं और तीन महीने के अंदर खरीद ली जाएंगी। कोर्ट ने राज्य सरकार को खरीद प्रक्रिया में तेजी लाने का निर्देश दिया है।

रेमडेसिवीर इंजेक्शन

न्यायालय ने राज्य में रेमडेसिवीर इंजेक्शन की भारी कमी और इसके परिणामस्वरूप काले बाजार में इसके अवैध व्यापार पर भी ध्यान दिया।

खंडपीठ ने कहा कि ''यह गंभीर चिंता का विषय है और राज्य सरकार द्वारा इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं किए जाने पर उचित आदेश पारित करने के लिए न्यायालय को बाध्य होना पड़ेगा।''

केस का शीर्षकःशिवानी कौशिक बनाम भारत संघ

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