रोहिणी कोर्ट फायरिंग: कोर्ट में सुरक्षा बढ़ाने के लिए वकील ने सुप्रीम कोर्ट में आवेदन दायर किया
दिल्ली स्थित रोहिणी कोर्ट हॉल में हुई गोलीबारी और जेल में बंद गैंगस्टर जितेंद्र गोगी की हत्या के बाद एक वकील ने सुप्रीम कोर्ट में आवेदन दायर किया है और भारत सरकार और राज्य सरकारों को अधीनस्थ न्यायालयों की सुरक्षा के लिए तत्काल कदम और उपाय करने के निर्देश देने की मांग की है।
एडवोकेट विशाल तिवारी ने अपने आवेदन में हार्डकोर अपराधियों और खूंखार गैंगस्टरों को ट्रायल कोर्ट के समक्ष शारीरिक रूप से पेश करने के बजाय वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश करने का निर्देश देने की मांग की गई है।
वर्तमान आवेदन एक जनहित याचिका के तहत दायर किया गया है, जिसमें न्यायिक अधिकारियों, अधिवक्ताओं और कानूनी बिरादरी की सुरक्षा के लिए विशिष्ट निर्देश, नीतियां और नियम जारी करने की मांग की गई है, जो पहले से ही सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित है। (विशाल तिवारी बनाम यूनियन ऑफ इंडिया)
उल्लेखनीय है कि दिल्ली के रोहिणी कोर्ट स्थित कोर्ट रूप में शुक्रवार को फायरिंग की दिल दहला देने वाली घटना हुई, जिसमें गैंगस्टर जितेंद्र गोगी की हत्या कर दी गई। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, गोलीबारी में गोगी के अलावा 3 अन्य लोग मारे गए हैं। वकीलों के वेश में आए हमलावरों ने गोगी को अदालत कक्ष में लाए जाने पर उस पर हमला कर दिया। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि वारदात के वक्त जज और कोर्ट के कर्मचारी मौजूद थे। गोलीबारी के बीच वादी और वकील जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे, जिसके वीडियो भी सामने आए।
TW : Disturbing visuals of shootout which occurred in Delhi's Rohini Court room today. Reports suggest firing as part of inter-gang rivalry. pic.twitter.com/B0oBYEhyE2
— Live Law (@LiveLawIndia) September 24, 2021
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने घटना पर गहरी चिंता व्यक्त की है और इस संबंध में दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस से बात की। उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट न्यायिक अधिकारियों और अदालत परिसर की सुरक्षा से संबंधित एक और स्वत: संज्ञान मामले पर विचार कर रहा है, जिसे धनबाद में जज उत्तम आनंद की हत्या के बाद उठाया गया है।
एडवोकेट तिवारी के आवेदन में इस बात पर जोर देते हुए कि कई जिला अदालतों में न्यायाधीशों, वकीलों, अदालत के कर्मचारियों और वादियों की सुरक्षा के लिए किसी भी प्रकार की सशस्त्र पुलिस चौकी नहीं है, राज्यों को जिला न्यायालय परिसरों और तालुका स्तर की न्यायपालिका में सशस्त्र पुलिस चौकी खोलने के लिए निर्देश देने की मांग की गई है। साथ ही उन जिला न्यायालय परिसरों में सीसीटीवी कैमरे लगाने के निर्देश मांगे गए हैं, जहां सीसीटीवी कैमरे नहीं हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि हर घटना रिकॉर्ड हो सके।
आवेदक ने कहा है कि ग्रामीण क्षेत्रों और जिला न्यायालयों में कई वादी बड़ी संख्या में अपने सहयोगियों के साथ दूसरे पक्ष पर दबाव बनाने के लिए आते हैं, और ऐसे अवांछित भीड़ या व्यक्तियों को अदालत परिसर में किसी भी वादी के साथ आने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
रोहिणी कोर्ट की घटना का जिक्र करते हुए आवेदक ने कहा है कि यह पहली घटना नहीं है जब अधीनस्थ न्यायालयों को अपराध की जगह बना दिया गया है और इस तरह की हत्याएं और हमले हुए हैं।
आवेदक ने कुछ ऐसी ही घटनाओं का हवाला दिया है, जिसमें दिसंबर 2019 की एक घटना भी शामिल है, जब पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बिजनौर में कोर्ट रूम में भीतर दोहरे हत्याकांड के आरोपी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, जबकि उस समय अदालती कार्यवाही चल रही थी। अक्टूबर 2017 में मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले में कोर्ट रूम के भीतर 2008 में भारतीय जनशक्ति पार्टी के एक नेता की हत्या के आरोपी दो लोगों को गोली मार दी गई और गंभीर रूप से घायल कर दिया गया।
आवेदक के अनुसार ऐसी घटनाएं न केवल न्यायिक अधिकारियों, वकीलों और न्यायालय परिसर में मौजूद लोगों के लिए खतरा हैं बल्कि न्याय प्रणाली के लिए भी खतरा हैं। आवेदक ने कहा, "अदालत एक ऐसी जगह है, जहां लोग कानून की शरण में होते हैं लेकिन वे अदालतों में गैरकानूनी गतिविधियों के शिकार हो जाते हैं।"
आवेदक ने आगे तर्क दिया है कि न्यायाधीशों और न्यायिक अधिकारियों के जीवन को किसी भी खतरे के खिलाफ सुरक्षित करने के अलावा, यह भी महत्वपूर्ण है कि अदालतों और पूरे अदालत परिसर को आतंकवादियों या अन्य अपराधियों द्वारा किसी भी हमले के खिलाफ सुरक्षित किया जाए।
आवेदन में कहा गया है, "सैकड़ों मामलों के निपटारे के साथ हमेशा अदालत परिसर में भारी भीड़ होती है और हॉल में वादी, वकील, अदालत के कर्मचारी, न्यायाधीश, आगंतुक, गवाह और कई अन्य लोगों को आना, मिलना, बात करना और जांच करना आदि होता है। ऐसे में यदि पर्याप्त उपाय नहीं किए गए तो सुरक्षा कमजोर हो जाती है।"
आवेदक के अनुसार, जब सुरक्षा कमजोर होती है तो अपराधियों के लिए भीड़ में घुलना-मिलना आसान हो जाता है और फिर शांति के लिए गंभीर संकट पैदा होता है....।