ज़मानत के लिए आवेदन में हलफ़नामा ज़रूरी नहीं : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ई-फाइलिंग पर जारी किया स्पष्टीकरण

Update: 2020-04-16 05:45 GMT

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज़रूरी मामलों की सुनवाई के लिए ई-फाइलिंग के बारे में प्रक्रिया को संशोधित किया है। हाईकोर्ट की रजिस्ट्री ने इसे पिछले सप्ताह अधिसूचित किया था।

बुधवार को जारी एक अधिसूचना में संसोधन करते हुए कहा है कि अब वक़ील नोटरी के हलफ़नामे की स्कैन की हुई कॉपी जमा करने का अतिरिक्त विकल्प होगा। पहले हलफ़नामे की स्कैन की हुई कॉपी या ई-हलफ़नामा जमा करने का विकल्प था।

हाईकोर्ट ने यह भी कहा है कि लॉकडाउन की अवधि के दौरान ज़मानत/अग्रिम ज़मानत के आवेदन के साथ हलफ़नामा/ई-हलफ़नामा/नोटरी के हलफ़नामे की स्कैन कॉपी जमा करना ज़रूरी नहीं होगा।

लेकिन वकीलों को गवाही देने वालों का आधार कार्ड, कार्डधारकों का पूरा विवरण देना होगा और यह घोषित करना होगा कि वह आवेदन में सही जानकारी दे रहा/रही है।

इस छूट की शर्त यह है कि लॉकडाउन के हटने के 15 दिनों के भीतर उचित हलफ़नामें की हार्ड कॉपी अदालत में दायर की जाएगी।

अदालत ने कहा है कि अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो इस मामले को स्वतः निरस्त कर दिया जाएगा और इस मामले में दिए गए आदेश अदालत के संदर्भ के बिना वापस हो जाएँगे।

अपने पत्र में एचसीबीए ने अदालत से कहा है कि अगर कोई वक़ील प्रक्रिया के पालन में चूक करता है तो अदालत उसके ख़िलाफ़ प्रतिकूल टिप्पणी नहीं करे क्योंकि प्रक्रिया में जो बदलाव किए गए हैं वह काफ़ी व्यापक हैं और वकीलों को इसे समझने और अपनाने में थोड़ा वक़्त लगेगा।

शायद इसे ही देखते हुए हाईकोर्ट ने ई-फाइलिंग के बारे में पैरा 17 को निलंबित कर दिया है जिसमें कहा गया था कि अगर कोई वक़ील वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के निर्धारित दिन सुनवाई में भाग नहीं लेता है तो अदालत इस मामले का फ़ैसला उसके मेरिट के आधार पर एकपक्षीय रूप में कर सकता है। 

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