जब याचिका की प्रति राज्य सरकार को पहले ही तामील की जा चुकी है तो रजिस्ट्री नोटिस जारी करने के लिए प्रक्रिया शुल्क पर जोर नहीं दे सकती : कर्नाटक हाईकोर्ट

Update: 2021-09-20 12:11 GMT

Karnataka High Court

कर्नाटक हाईकोर्ट ने यह कहते हुए एक सर्कुलर जारी किया कि राज्य सरकार को नोटिस जारी करने के लिए प्रक्रिया शुल्क के भुगतान की आवश्यकता नहीं है, इस तथ्य के मद्देनजर कि राज्य को अग्रिम नोटिस पहले से ही नियम के रूप में तामील किया जा चुका है।

सर्कुलर अधिकारियों और प्रिंसिपल बेंच, बेंगलुरु और धारवाड़ और कलबुर्गी में बेंच में न्यायिक कामों में कार्यरत अधिकारियों को यह निर्देश देता है कि प्रतिवादी- राज्य सरकार को नोटिस जारी करने के लिए प्रक्रिया शुल्क पर जोर नहीं देना चाहिए, जब भी राज्य सरकार को प्रतिवादी के रूप में रखा जाता है, खासकर जब रिट याचिका की प्रति राज्य सरकार को पहले ही तामील की जा चुकी है और यह भी कि जब राज्य सरकार का नाम वाद सूची में छपा हो।

केएस भरत कुमार रजिस्ट्रार (न्यायिक) द्वारा जारी परिपत्र 2 सितंबर को उच्च न्यायालय द्वारा WP संख्या 10338/2021 में पारित आदेश पर निर्भर करता है।

अदालत ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा,

"चूंकि पहला प्रतिवादी अग्रिम नोटिस पर है, इसलिए प्रतिवादी नंबर 1 (राज्य सरकार) को नया नोटिस जारी करने का सवाल ही नहीं उठता। यहां तक कि वाद सूची में भी एजीए का नाम छपा हुआ है। इस कारण से भी प्रतिवादी क्रमांक 1 को नया नोटिस जारी करने के लिए कदम उठाने की कोई आवश्यकता नहीं है।"

इसके अलावा यह कहा गया है कि यह देखा गया है कि जहां भी राज्य सरकार को एक पक्षकार बनाया जाता है और नोटिस का आदेश दिया जाता है, रजिस्ट्री याचिकाकर्ताओं के लिए उपस्थित वकील द्वारा शुल्क फ्री प्रक्रिया के लिए जोर दे रही है, जब रिट कार्यवाही नियम, 1977 का नियम 4 जारी करने का आदेश देता है जब तक एडवोकेट जनरल के कार्यालय में कॉपी की तामील नहीं हो जाती, तब तक अग्रिम प्रति और रजिस्ट्री मामलों को क्रमांकित नहीं करेगी। इसलिए राज्य को नए सिरे से नोटिस जारी करने के लिए एक बार फिर प्रक्रिया शुल्क का भुगतान करने का सवाल ही नहीं उठता।

अदालत ने कहा कि रजिस्ट्रार (न्यायिक) मुख्य न्यायाधीश के समक्ष फाइल रखने के लिए और मुख्य न्यायाधीश से आदेश प्राप्त करने पर सर्कुलर जारी करेगा कि विशेष रूप से रिट याचिका की प्रति के मामले में नई प्रक्रिया का भुगतान करने की कोई आवश्यकता नहीं है, जब राज्य सरकार को पहले ही तामील किया जा चुका है और राज्य सरकार का नाम वाद सूची में छपा हो।

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