लाल किला हिंसा मामला: दिल्ली की अदालत ने दो मामलों में हिंसा भड़काने और तोड़फोड़ करने के आरोपी व्यक्ति को अग्रिम जमानत दी
दिल्ली की एक अदालत ने मंगलवार को लाल किला हिंसा के दो मामलों में आरोपी जाजबीर सिंह को अग्रिम जमानत दे दी। जाजबीर सिंह पर इस साल गणतंत्र दिवस पर हुए किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान कथित तौर पर हिंसा भड़काई और तोड़फोड़ करने का आरोप है।
सत्र अदालत ने लाल किले में भड़की हिंसा के सिलसिले में दिल्ली पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर 96 और 98 में जाजबीर सिंह को अग्रिम जमानत दे दी।
अदालत ने इस महीने की शुरुआत में प्राथमिकी 96/2021 में सिंह को गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण प्रदान करने के बाद यह फैसला दिया। इससे पहले इस मामले में उनके खिलाफ बयान जारी किया गया था।
एफआईआर 96/2021 के बारे में
गणतंत्र दिवस पर लाल किले पर हुई हिंसा के सिलसिले में दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा (मध्य दिल्ली) द्वारा आईपीसी की धारा 147, 148, 149, 152, 186, 353, 332, 307, 308, 395, 397, 427 और 188, शस्त्र अधिनियम, 1959 की धारा 25, 27, 54 और 59 और सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान की रोकथाम अधिनियम, 1984 की धारा तीन के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी।
एफआईआर 98/2021 के बारे में
प्राथमिकी गुंजन कुमार श्रीवास्तव, अधीक्षक पुरातत्वविद् द्वारा की गई एक शिकायत के आधार पर दर्ज की गई थी। इसमें आरोप लगाया गया था कि लाहौर गेट के अंदर एक भीड़ ने घुसकर रोशनी की बिजली की फिटिंग को क्षतिग्रस्त कर दिया था। लाल किले की प्राचीर की ओर मार्च किया और उस पोल पर जबरदस्ती झंडा फहराया, जिस पर माननीय प्रधान मंत्री ने स्वतंत्रता दिवस पर भारतीय राष्ट्रीय ध्वज फहराया था।
इस मामले में आईपीसी की धारा 147, 148, 149, 153, 452, 34, आर्म्स एक्ट की धारा 25, 27, पीडीपीपी अधिनियम की धारा 3, 4, राष्ट्रीय सम्मान अधिनियम की धारा 2 और प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल और अवशेष अधिनियम की धारा 30A, 30B के तहत एफआईआर दर्ज की गई।
यह बताते हुए कि लाल किला यूनेस्को की विश्व धरोहर स्मारक है, जो प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल और अवशेष अधिनियम, 1958 के प्रावधानों के तहत संरक्षित है, एफआईआर में आरोप लगाया गया कि गणतंत्र दिवस पर दोपहर लगभग 12:10 बजे, लगभग 25 ट्रैक्टर और 200- 300 प्रदर्शनकारियों ने नेताजी सुभाष मार्ग से ज्ञानपथ क्षेत्र में प्रवेश किया और लाहौरी गेट के माध्यम से लाल किले में घुसने का प्रयास किया।
दीप सिद्धू को उपरोक्त प्राथमिकी के संबंध में प्राथमिक साजिशकर्ता के रूप में नामित किया गया है। हालांकि, दिल्ली की एक अदालत ने इस साल अप्रैल में सिद्धू को जमानत दे दी थी।
दिल्ली कोर्ट में आरोपी व्यक्ति की ओर से अधिवक्ता जसदीप एस ढिल्लों पेश हुए।
हाल ही में कोर्ट ने यह देखते हुए उसी एफआईआर के संबंध में एक खेमप्रीत सिंह को जमानत दी थी कि जांच अधिकारी को यह सुनिश्चित नहीं है कि सिख द्वारा तलवार या फरसा ले जाने का कार्य अपराध है या लाल किले में आरोपी की उपस्थिति एक गंभीर अपराध है।
इसी तरह के मामले में अदालत ने "गैंगस्टर से एक्टिविस्ट बने" लाखा सिधाना की गिरफ्तारी से अंतरिम सुरक्षा 20 जुलाई तक बढ़ा दी थी। सिधाना को दिल्ली पुलिस ने इसी एफआईआर में उसकी कथित भूमिका के संबंध में वांछित करार दिया था।
हालांकि, कोर्ट ने मामले को आज (मंगलवार) स्थगित कर दिया और इस पर आगे की सुनवाई के लिए 22 जुलाई की तारीख तय की।