बॉम्बे हाईकोर्ट ने क़ानून के अंतिम वर्ष के छात्र की याचिका पर प्रशासनिक विधि के पेपर में उसे मिले अंकों की दोबारा गणना करने के निर्देश दिए
बॉम्बे हाईकोर्ट ने सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय और परीक्षा बोर्ड और मूल्यांकन के निदेशक को कहा है कि वह याचिकाकर्ता को प्रशासनिक विधि (Administrative Law Paper)के पेपेर में नौवें सेमेस्टर में मिले अंक को दोबारा गणना करने को कहा है। यह परीक्षा दिसंबर 2019 में हुई थी और याचिककर्ता का कहना है कि अंकों की गणना में अंकगणितीय भूल हुई है।
न्यायमूर्ति उज्जल भूयन और जस्टिस एनआर बोरकर ने वरद कोल्हे की याचिका पर सुनवाई की, जिन्हें इस पेपर में 41 अंक मिले पर उनका कहना है कि इस पेपर में अंकों की गिनती में गलती हुई है।
कोर्ट ने विश्वविद्यालय से कहा कि वह इस छात्र को मिले अंकों की दोबारा गणना करें।
याचिककर्ता की पैरवी एवी अंतुरकर, रंजीत शिंदे और अजिंक्या उडाने ने कहा कि अंकों की गणना में चूक हुई है। छात्र का कहना है कि उसको इस पेपर में 61 अंक मिलने चाहिए।
विश्वविद्यालय के वक़ील राजेंद्र अनुभुते ने मॉडरेटर की सम्मति लेने और फिर हलफनामा दायर करने की बात कही।
जब कोर्ट ने पूछा कि याचिकाकर्ता छात्र ने इस पेपर में कितने अंक प्राप्त किए हैं, तो अनुभुते ने कहा कि छात्र को ज़्यादा से ज़्यादा 43 अंक मिल सकते हैं न कि 61, जैसा कि वह दावा कर रहा है।
पीठ ने अंत में कहा,
"दूसरे पक्ष के मत पर ग़ौर करने के बाद हम प्रतिवादी नंबर 1 और 2 को याचिकाकर्ता के प्रशासनिक विधि के पेपर के प्रश्नोत्तरों को दुबारा जांचे बिना उसके प्राप्तांकों की दुबारा गणना करने का निर्देश देते हैं। ऐसा करने के बाद इसका परिणाम अदालत में अगली सुनवाई के दिन पेश किया जाए।"