स्कूलों को फिर से खोलना COVID-19 का सुपर-स्प्रेडर नहीं बनना चाहिए: कर्नाटक हाईकोर्ट

Update: 2021-08-24 07:04 GMT

स्कूल

कर्नाटक हाईकोर्ट ने सोमवार को कर्नाटक राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण (केएसएलएसए) को सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों का यादृच्छिक निरीक्षण करने का निर्देश दिया।

कोर्ट ने यह निर्देश मानक संचालन प्रक्रिया के सत्यापाति करने के लिए दिया। राज्य में सोमवार से कक्षा 9वीं और 10वीं के लिए फिजिकल कक्षाएं शुरू हो गई हैं।

न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना और न्यायमूर्ति पी कृष्णा भट की खंडपीठ ने मौखिक रूप से कहा,

"स्कूल खोलना आसान है, लेकिन यह COVID-19 का सुपर स्प्रेडर नहीं होना चाहिए, ताकि स्कूलों को फिर से बंद करना पड़े।"

पीठ ने सरकार द्वारा 16 अगस्त को जारी सर्कुलर का संज्ञान लिया। इसमें COVID-19 मानदंडों का पालन करते हुए स्कूलों को फिर से खोलने की अनुमति दी गई थी।

सर्कुलर में कहा गया कि माता-पिता को अपने बच्चों को फिजिकल रूप से या वर्चुअल मोड के माध्यम से स्कूलों में जाने की अनुमति देने का विकल्प देते हुए दिन के पहले भाग में फिजिकल कक्षाएं संचालित की जाएंगी।

कोर्ट ने आदेश दिया,

"हम कर्नाटक राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव को निर्देश देते हैं, जो बदले में जिला कानूनी सेवा प्राधिकरण के सभी सदस्य सचिवों को निर्देश देंगे कि वे सरकारी और सहायता प्राप्त संस्थानों का यादृच्छिक आधार पर उक्त एसपीओ का अनुपालन कराने के लिए संस्थाओं का निरीक्षण करें। केएसएलएसए जिला कानूनी सेवा अधिकारियों से रिपोर्ट मांगेगा और उसे संकलित करेगा और 30 अगस्त को या उससे पहले अदालत के समक्ष रखेगा।"

कोर्ट ने यह निर्देश राधा एम द्वारा दायर एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान पारित किया गया था।

इस याचिका में सरकार को चरणबद्ध तरीके से स्कूलों को फिर से खोलने और बच्चों को मध्याह्न भोजन उपलब्ध कराने के निर्देश देने की मांग की गई थी।

अदालत ने राज्य सरकार को यह भी निर्देश दिया कि वह राज्य भर में सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों के शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों के लिए किए गए वैक्सीनेशन अभियान के आंकड़ों को जिलेवार फ्रंट लाइन वर्कर्स के रूप में दर्ज करे।

केस शीर्षक: राधा एम और कर्नाटक राज्य

केस नंबर: डब्ल्यूपी 2366/2021

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