"बिना किसी शोध के याचिका दायर की गई" : राजस्थान हाईकोर्ट ने केवल 10 साल पुराने डीजल वाहनों के डी-रजिस्ट्रेशन को चुनौती देने वाली जनहित याचिका खारिज की
राजस्थान हाईकोर्ट ने दायर जनहित याचिका को खारिज कर दिया। इस याचिका में कहा गया कि अधिसूचना दिनांक 22.01.2018 को अल्ट्रा वायर्स घोषित किया जाए, क्योंकि निर्देश केवल 10 साल पुराने डीजल वाहनों के रजिस्ट्रेशन तक ही सीमित है, पेट्रोल वाहनों की तरह 15 साल तक के लिए नहीं है।
जनहित याचिका भानु प्रताप सिंह नाम के व्यक्ति ने दायर की थी।
कोर्ट ने कहा कि याचिका में कोई दम नहीं है। अदालत ने कहा कि कोई भी सामग्री रिकॉर्ड में नहीं रखी गई है कि याचिकाकर्ता किस आधार पर दावा करता है कि एक समान पुराने डीजल वाहन और पेट्रोल वाहन दोनों का समान दहन मूल्य और समान डिग्री का प्रदूषण है।
एक्टिंग चीफ जस्टिस मनिंद्र मोहन श्रीवास्तव और जस्टिस समीर जैन की खंडपीठ ने याचिका खारिज करते हुए कहा,
"यह याचिका किसी भी योग्यता से रहित है। कोई भी सामग्री रिकॉर्ड में नहीं रखी गई है कि याचिकाकर्ता किस आधार पर दावा करता है कि एक समान पुराने डीजल वाहन और पेट्रोल वाहन दोनों का समान दहन मूल्य और समान डिग्री का प्रदूषण है।"
याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए अदालत ने कहा कि याचिका बिना किसी शोध और बिना किसी सामग्री के दायर की गई है।
बेंच ने आदेश दिया,
"याचिका बिना किसी शोध और बिना किसी सामग्री के दायर की गई है, इसलिए इस पर विचार नहीं किया जा सकता। इसे तदनुसार खारिज कर दिया जाता है।"
याचिकाकर्ता की ओर से सौरभ चटर्जी पेश हुए।
केस शीर्षक: भानु प्रताप सिंह बनाम राजस्थान राज्य और अन्य।
साइटेशन: 2022 लाइव लॉ (राज) 131
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