भ्रष्टाचार के मामले में बिना FIR दर्ज किए 5 साल तक जांच करती रही एजेंसी, अब हाईकोर्ट ने स्पष्टीकरण मांग लिया

यह देखते हुए कि "स्थिति समझ से परे बल्कि निंदनीय प्रतीत होती है," पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने भ्रष्टाचार के मामले में बिना FIR दर्ज किए पांच साल तक जांच करने के लिए पंजाब के मुख्य निदेशक, राज्य सतर्कता ब्यूरो से स्पष्टीकरण मांगा।
जस्टिस सुमीत गोयल ने कहा,
"पंजाब के राज्य सतर्कता ब्यूरो के मुख्य निदेशक को मामले की जांच करने और FIR दर्ज किए बिना लगभग 5 साल की अवधि तक जांच जारी रखने के पीछे के कारण और औचित्य को बताते हुए हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया जाता है।"
अदालत भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 420, 465, 467, 468, 471 और 120-बी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7-ए के तहत अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
यह तर्क दिया गया कि जिस शिकायत के परिणामस्वरूप संबंधित FIR दर्ज की गई, वह 2019 में दी गई, लेकिन सतर्कता ब्यूरो ने लगभग 5 वर्षों तक उस पर ध्यान नहीं दिया, याचिकाकर्ता को FIR दर्ज करने से पहले यानी सतर्कता ब्यूरो द्वारा जांच के दौरान बुलाए जाने पर संबंधित अधिकारी के समक्ष उपस्थित होना पड़ा।
न्यायालय ने राहत प्रदान की और 21.4.2025 को सुबह 11:00 बजे संबंधित पुलिस स्टेशन में जांच अधिकारी के समक्ष उपस्थित होने और जांच में शामिल होने के लिए कहा।
याचिका का निपटारा करते हुए जस्टिस गोयल ने इस बात पर प्रकाश डाला कि जिस शिकायत के परिणामस्वरूप संबंधित FIR दर्ज की गई, वह जुलाई, 2019 में दी गई थी, लेकिन, "किसी कारण से सतर्कता ब्यूरो ने लगभग 5 वर्षों तक शिकायत पर ध्यान नहीं दिया, क्योंकि इसके आधार पर FIR मार्च, 2025 में ही दर्ज की गई।"
केस टाइटल: हरमीत सिंह सहगल बनाम पंजाब राज्य