'अदालत को 1984 के भयानक सिख अत्याचारों की याद दिलाई गई', पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने सिखों के खिलाफ हेट स्पीच देने के आरोपी को जमानत देने से इनकार किया
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने उस व्यक्ति को जमानत देने से इनकार कर दिया, जिस पर सिख समुदाय के खिलाफ नफरत फैलाने वाला भाषण फैलाने का मामला दर्ज किया गया। अदालत ने यह देखते हुए उक्त आदेश दिया कि आरोपी द्वारा इस्तेमाल किए गए शब्द "घृणित" हैं।
जस्टिस जसगुरप्रीत सिंह पुरी ने कहा,
''यह अदालत भारत के इतिहास के सबसे काले और भयावह क्षणों में से एक की याद दिलाती है, जो वर्ष 1984 में हुआ था। भारत के प्रधानमंत्री की हत्या के बाद इस देश में पूरे देश में दंगे हुए। हजारों लोग मारे गए और उनके परिवार आज तक पीड़ित हैं। हालांकि, यह अदालत खुद को केवल वर्तमान एफआईआर में लगाए गए आरोपों तक ही सीमित रखेगी, लेकिन याचिकाकर्ता और उसके अभिभाषक द्वारा कथित तौर पर इस्तेमाल किए गए शब्दों में कोई संदेह नहीं है कि यह न केवल गंभीर है, बल्कि प्रकृति में जघन्य भी है।
कोर्ट ने कहा कि सिख समुदाय के लिए भी बुरे नामों का इस्तेमाल किया गया और आरोपियों ने जान से मारने की धमकी भी दी।
ये टिप्पणियां एक राहुल शर्मा की दूसरी जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान की गईं, जिस पर पंजाब के अमृतसर में आईपीसी की धारा 295-ए, 298, 153-ए, 506 और 34 के तहत आरोप लगाया गया।
एफआईआर के मुताबिक, शर्मा ने सोशल मीडिया पर अपना वीडियो अपलोड किया, जिसमें वह जान से मारने की धमकी दे रहा है और सिख समुदाय के खिलाफ नफरत फैलाने वाला भाषण दे रहा है।
याचिका में कहा गया कि हालांकि, बाद में उसने माफी मांगने के लिए एक और वीडियो बनाया।
याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि वह मई, 2023 से हिरासत में हैं और जांच भी पूरी हो चुकी है।
उन्होंने आगे कहा कि याचिकाकर्ता ने उपरोक्त वीडियो गुस्से में अपलोड किया था और यह जानबूझकर नहीं था।
दोनों पक्षकारों को सुनने के बाद अदालत ने कहा,
"आरोपों से संबंधित एफआईआर की इस तरह की सामग्री जो याचिकाकर्ता द्वारा स्वयं इंटरनेट पर अपलोड की गई और उसके बाद एक पत्रकार द्वारा वायरल की गई, निश्चित रूप से गंभीर और जघन्य प्रकृति की है।"
इसमें आगे कहा गया कि राज्य के वकील ने प्रस्तुत किया कि सोशल मीडिया पर इस तरह का बयान देने का उद्देश्य समुदायों के बीच दंगे भड़काना था, जिसे राज्य द्वारा उचित रूप से रोका गया।
कोर्ट ने यह भी कहा कि आरोपी पर दुकान में आग लगाने के आरोप में भी मामला दर्ज है।
अदालत ने कहा,
"उपरोक्त आरोपों पर विचार करते हुए यदि याचिकाकर्ता को जमानत पर रिहा किया जाता है तो वह गवाहों को डरा सकता है और प्रभावित कर सकता है और न्याय से भाग सकता है। इसका महत्व है और इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।"
अदालत ने इसके साथ ही जमानत की राहत खारिज कर दी।
अपीयरेंस: याचिकाकर्ता के वकील विवेक सलाथिया। जी.एस.सिद्धू, एएजी, पंजाब और वकील गुरपरताप सिंह भुल्लर शिकायतकर्ता के लिए।
केस टाइटल: राहुल शर्मा बनाम पंजाब राज्य