Punjab Floods | हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से 25% से कम फसल नुकसान वाले किसानों के लिए मुआवजे पर निर्णय लेने को कहा
पंजाब में आई बाढ़ के बाद पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को 25% से कम फसल नुकसान वाले किसानों को मुआवजा देने के प्रावधान के अभाव संबंधी नीतिगत खामियों का आरोप लगाते हुए एक आवेदन पर निर्णय लेने का निर्देश दिया।
चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस संजीव बेरी की खंडपीठ ने राज्य सरकार से इस मुद्दे पर दायर आवेदन पर यथाशीघ्र निर्णय लेने को कहा।
वकील वासु रंजन शांडिल्य द्वारा दायर जनहित याचिका में कहा गया कि पंजाब सरकार द्वारा जारी अधिसूचना में 25% से अधिक फसल नुकसान के लिए मुआवजे का प्रावधान है, जबकि 1-25% के बीच के नुकसान को पूरी तरह से बाहर रखा गया, जिससे लाखों छोटे और सीमांत किसान - जो पंजाब की कृषि आबादी का लगभग 85% हिस्सा हैं - किसी भी राहत से वंचित हो रहे हैं। ऐसा बहिष्करण मनमाना, अनुचित और भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और अनुच्छेद 21 (जीवन का अधिकार) का उल्लंघन है।
यह दलील दी गई कि सीएमओ द्वारा कृषि विभाग को अभ्यावेदन भेजने के बावजूद आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई।
यह भी आरोप लगाया गया कि पंजाब में किसानों की आत्महत्या (केवल 2015 में 16,606 से अधिक और 2002 से हर 30 मिनट में एक) और हाल ही में आई बाढ़ (अगस्त-सितंबर 2025) से 2 लाख एकड़ से अधिक भूमि प्रभावित हुई, जिससे अपूरणीय वित्तीय और मानवीय क्षति हुई है। टाइम्स ऑफ इंडिया (13.09.2025) और इंडियन एक्सप्रेस (21.09.2025) की रिपोर्टें किसानों की दुर्दशा और मुआवजे के लिए विशिष्ट मानदंडों के अभाव को और उजागर करती हैं।
दूसरी ओर, राज्य के वकील ने दलील दी कि अभ्यावेदन 25 सितंबर को ही दायर किया गया।
मामले का गुण-दोष के आधार पर निर्णय लिए बिना ही याचिका का निपटारा कर दिया गया।
Title: VASU RANJAN SHANDILYA v. STATE OF PUNJAB AND OTHERS