O7 R11 सीपीसी | वाद को खारिज करने की शक्ति का प्रयोग तभी किया जाना चाहिए जब न्यायालय इस "निश्चित निष्कर्ष" पर पहुंचता है कि मुकदमा सुनवाई योग्य नहीं है या कानून के तहत वर्जित है: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट

Update: 2022-06-15 05:46 GMT
P&H High Court Dismisses Protection Plea Of Married Woman Residing With Another Man

Punjab & Haryana High Court

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा कि आदेश 7 नियम 11 सीपीसी के तहत वाद को खारिज करने की शक्ति का प्रयोग तभी किया जाना चाहिए जब न्यायालय इस "निश्चित निष्कर्ष" पर पहुंचता है कि मुकदमा या तो सुनवाई योग्य नहीं है या कानून के तहत वर्जित है।

जस्टिस अनिल क्षेत्रपाल की पीठ ने कहा कि आदेश 7 नियम 11 सीपीसी विभिन्न आधारों को सूचीबद्ध करता है जिन पर वाद को खारिज किया जा सकता है।

पीठ ने पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई के दौरान उक्त अवलोकन किया गया, जिसमें याचिकाकर्ता के आवेदन (मूल प्रतिवादी) को आदेश 7 नियम 11 सीपीसी के तहत घोषणा के लिए सूट में वाद को खारिज करने के लिए (यहां प्रतिवादी द्वारा दायर) निचली अदालत द्वारा खारिज कर दिया गया था।

आदेश 7 नियम 11 सीपीसी के तहत वादी के आवेदन को निचली अदालत ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि प्रतिवादी द्वारा की गई आपत्ति को प्रमुख सबूतों से साबित करने की जरूरत है। याचिकाकर्ता ने इस आधार पर सूट की स्थिरता पर आपत्ति जताई थी कि किराए की कार्यवाही में कुछ त्रुटियां हैं।

हाईकोर्ट ने कहा,

"इस तरह के तथ्यों को साक्ष्य में साबित करने की आवश्यकता होती है। इस तरह के निष्कर्ष बाध्यकारी होंगे या नहीं, यह फिर से मामला है जिसे प्रत्येक मामले के तथ्यों की जांच के बाद तय किया जाना आवश्यक है।"

इस प्रकार, यह विचार है कि हालांकि याचिकाकर्ता ने इस आधार पर वाद के सुनवाई योग्य होने पर आपत्ति जताई है कि किराए की कार्यवाही में कुछ त्रुटियां हैं लेकिन इन्हें साक्ष्य में साबित करने की आवश्यकता है।

यह देखते हुए कि किराया नियंत्रक एक सीमित क्षेत्राधिकार का प्रयोग करता है, अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता को आपत्ति पर अलग मुद्दा तैयार करने के लिए प्रार्थना करने की स्वतंत्रता होगी।

तद्नुसार पुनर्विचार याचिका का निपटारा किया गया।

केस टाइटल : यशपाल गुलाटी बनाम कुलविंदर कौर और अन्य

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