ट्रांसजेंडरों की आईडी, राशन और आधार कार्ड बनवाने में सहायता करें: एमपी हाईकोर्ट ने स्टेट लीगल सर्विस अथॉरिटी को निर्देश दिया
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने सोमवार को स्टेट लीगल सर्विस अथॉरिटी को राज्य भर में ट्रांसजेंडरों को उनके पहचान पत्र/ट्रांसजेंडर कार्ड, 'राशन' कार्ड और 'आधार' कार्ड तैयार करने में मदद करने के लिए सहायता प्रदान करने का निर्देश दिया।
मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और न्यायमूर्ति विजय कुमार शुक्ला की खंडपीठ ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों के कल्याण के लिए एक ट्रांसजेंडर द्वारा जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
याचिकाकर्ता की प्रस्तुतियाँ
कोर्ट को बताया गया कि ज्यादातर ट्रांसजेंडरों के पास ट्रांसजेंडर कार्ड नहीं है। खासकर जो सूची में नए जोड़े गए हैं। ट्रांसजेंडर कार्ड उपलब्ध न होने के कारण वे अपना आधार कार्ड और राशन कार्ड तैयार हासिल करने की स्थिति में नहीं हैं।
यह भी प्रस्तुत किया गया कि प्रति माह पाँच किलो खाद्यान्न उपलब्ध कराने के वादे के विपरीत वर्तमान में केवल चार किलो खाद्यान्न ट्रांसजेंडर को दिया जा रहा है। इसमें दो किलो बाजरा भी शामिल है।
न्यायालय की टिप्पणियां और निर्देश
याचिकाकर्ता और राज्य के वकील की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने कहा:
"अधिकांश ट्रांसजेंडरों को न केवल इसलिए कठिनाई का सामना करना पड़ता है कि उनके पास ट्रांसजेंडर पहचान पत्र नहीं है, बल्कि उनके नाम पर 'राशन' कार्ड भी जारी नहीं किए जाते हैं। यह भी कहा गया कि 'राशन' कार्ड, ट्रांसजेंडर कम्युनिटी अपना 'आधार' कार्ड जारी करने की स्थिति में नहीं हैं।"
इस पृष्ठभूमि के खिलाफ, कोर्ट ने स्टेट लीगल सर्विस अथॉरिटी को पैरालीगल स्वयंसेवकों के माध्यम से सर्वेक्षण करवाकर राज्य भर में ऐसे सभी ट्रांसजेंडरों को सहायता प्रदान करने और उनके पहचान पत्र तैयार करने में मदद करने का निर्देश दिया।
कोर्ट ने हर जिले में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव को इस कवायद पर नजर रखने का निर्देश दिया है।
कोर्ट ने निम्नलिखित निर्देश भी जारी किए:-
1. संबंधित जिलों के कलेक्टर उन्हें सर्वेक्षण के काम को सुविधाजनक बनाने के साथ-साथ पहचान पत्र/ट्रांसजेंडर कार्ड, 'राशन' कार्ड और 'आधार' कार्ड जारी करने के लिए सभी आवश्यक सहायता प्रदान करें।
2. राज्य सरकार केंद्र सरकार/राज्य सरकार की किसी अन्य योजना के तहत राज्य में ट्रांसजेंडर समुदाय को प्रदान किए जा रहे लाभों को दर्शाने वाली प्रासंगिक सामग्री को रिकॉर्ड में रखेगी।
3. केंद्र सरकार/राज्य सरकार की योजनाओं के साथ-साथ राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के तहत राज्य में ट्रांसजेंडरों को स्वीकार्य खाद्यान्न और अन्य लाभों का वितरण सुनिश्चित करने के लिए राज्य के प्रत्येक जिले के कलेक्टर सहायता प्रदान करें।
केस का शीर्षक - नूरी बनाम मध्य प्रदेश राज्य और अन्य
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