महिला हितों के खिलाफ संचालित संरक्षणवाद को आरक्षण के साथ देखा जाए: केरल हाईकोर्ट ने नौकरी की शर्त 'केवल पुरुष के ‌लिए' को रद्द करने के फैसले पर रोक लगाने से इनकार किया

Update: 2021-05-03 11:35 GMT

केरल हाईकोर्ट

एक एकल न्यायाधीश के फैसले, जिसमें एक महिला को केवल पुरुषों के लिए निर्धारित नौकरी को करने की अनुमति दी गई थी, के संचालन पर रोक लगाने से इनकार करते हुए केरल हाईकोर्ट ने संरक्षणवाद पर महत्वपूर्ण टिप्पणियां कीं कि कैसे इस विचार ने महिलाओं के लिए बाधाएं खड़ी की हैं।

जस्टिस देवन रामचंद्रन और एमआर अनीता की डिवीजन बेंच फैसले के खिलाफ केरल मिनरल्स एंड मेटल्स लिमिटेड के प्रबंध निदेशक की एक अपील पर विचार कर रही थी।

अपीलकर्ताओं ने तर्क दिया कि चूंकि फैक्ट्रीज एक्ट की धारा 66 (1) (बी) लागू है, इसलिए सिंगल जज यह निर्देश नहीं दे सकते थे कि महिला ट्रीजा जोसेफिन के रोजगार आवेदन पर विचार किया जाए, जो ऐसी पोस्ट के लिए है, जिसमें रात में काम करना पड़ता है।

धारा 66 (1) (बी) के अनुसार - किसी भी महिला को किसी भी कारखाने में सुबह 6 बजे से शाम 7 बजे तक, को छोड़कर काम करने की अनुमति नहीं दी जाएगी, बशर्ते कि राज्य सरकार, किसी भी कारखाने या समूह या वर्ग या कारखानों के विवरण के संबंध में, आधिकारिक राजपत्र में अधिसूचना के जर‌िए, खंड (बी) में निर्धारित सीमा को बदल कर सकती है, लेकिन इस प्रकार कि, इस प्रकार का कोई भी बदलाव रात 10 बजे से सुबह 5 बजे के बीच किसी भी महिला के रोजगार को अधिकृत नहीं करेगा।

डिवीजन बेंच ने हालांकि, अपनी प्रथम दृष्टया राय पर जोर दिया कि यह प्रावधान महिलाओं के लिए उपलब्ध अवसरों पर अंकुश लगाने के लिए नहीं था।

कोर्ट ने कहा, किसी भी मामले में महिलाओं के पक्ष में निर्धारित संरक्षणवाद को गंभीर आरक्षण के साथ देखा जाना चाहिए, इसके बावजूद कि इस तरह के प्रावधान 'प्रथम दृष्टया' कितने 'चमकदार' लगते हैं।

कोर्ट ने कहा, "पिछले कई वर्षों में परिस्थितियों के बदलाव के कारण, संरक्षणवाद महिलाओं के पक्ष में प्रतीत होता है, इस हद तक कि यह उनके हितों के खिलाफ काम करता है, निश्चित रूप से इसे गंभीर आरक्षण के साथ देखना होगा।"

खंडपीठ ने कहा कि यह सुनिश्चित करनका नियोक्ताओं पर है कि कार्यस्थलों को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करें ताकि उनके द्वारा नियोजित महिलाएं हर समय काम कर सकें। अदालत ने कहा, "अन्यथा, महिलाएं हर समय "कांच की दीवार" के पीछे ही रहेंगी।"

यह कहने के बावजूद कि बेंच के लिए निर्णय पर रोक लगाना न्यायोचित नहीं होगा, कोर्ट ने अपील को स्वीकार किया, क्योंकि इसमें कानून का सवाल शामिल था। इसलिए इस मामले को 14 जून 2021 को विचार के लिए पोस्ट किया गया है।

जस्टिस अनु शिवरामन की एकल न्यायाधीश पीठ ने हाल ही में कहा कि एक महिला जो पूरी तरह से योग्य है, उसे इस आधार पर रोजगार के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है कि वह एक महिला है और रोजगार दौरान उसे रात में काम करने की आवश्यकता होगी।

जज ने कहा कि रोजगार के लिए विचार की जा रही महिला के लिए सुरक्षात्मक प्रावधान बाधा नहीं बन सकते।

इन टिप्पणियों के साथ, सिंगत जज ने केरल मिनरल्स एंड मेटल्स लिमिटेड द्वारा जारी नौकरी अधिसूचना में निहित प्रतिबंध को रद्द कर दिया, जिसके तहत केवल पुरुष उम्मीदवारों को पद के लिए आवेदन करने की अनुमति दी थी। सिंगल जज ने यह संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 16 के प्रावधानों का उल्लंघन है।

कोर्ट ने कहा, "यह उत्तरदाताओं का बाध्यकारी कर्तव्य है, जो सरकारी और सरकारी अधिकारी हैं, यह देखने के लिए सभी उचित कदम उठाएं कि एक महिला हर समय, सुरक्षित और सुविधाजनक रूप से, उसे सौंपे गए कर्तव्यों को पूरा करने में सक्षम है। यदि ऐसा है तो एक योग्य महिला को नियुक्ति देने से इनकार करने का यह कारण नहीं हो सकता है कि वह एक महिला है और रोजगार में उसे रात के घंटों के दौरान काम करने की आवश्यकता होगी।"

जस्टिस अनु शिवरामन ने कहा कि मैं यह स्पष्ट करती हूं कि इस तरह के सुरक्षात्मक प्रावधान रोजगार के लिए विचार की जा रही महिला के लिए बाधा नहीं खड़े हो सकते हैं, जिसके लिए वह अन्यथा पात्र हैं।

सेफ्टी एंड फायर इंजीनियरिंग में इंजीनियरिंग ग्रेजुएट, ट्रीजा जोसेफीन, केरल मिनरल्स एंड मेटल्स लिमिटेड में ग्रेजुएट इंजीनियर ट्रेनी के रूप में कार्यरत थीं। यह केरल सरकार की एक कपंनी है। अपनी रिट याचिका में उन्होंने कंपनी में उपलब्ध सेफ्टी ऑफिसर के स्थायी पद के लिए आवेदन आमंत्रित करने के लिए जारी की गई अधिसूचना को चुनौती दी है, जिसमें कहा गया था कि केवल पुरुष उम्मीदवारों को इस पद के लिए आवेदन करने की आवश्यकता है। उनकी दलील थी कि यह भेदभावपूर्ण है।

केस: मैनेजर बनाम ट्रीजा जोसेफीन

वकील: प्रबंधक के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता के आनंद और एडवोकेट लता आनंद, जेसेफीन के लिए एडवोकेट पीआर मिल्टन और जॉर्ज वर्गीज

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