''गरीब निरक्षर महिला'',''सीनियर सिटीजन'', ''ग्रामीण पृष्ठभूमि'': सुप्रीम कोर्ट ने एनडीपीएस की दोषी महिला की सजा कम की
सुप्रीम कोर्ट ने एक वृद्ध और अनपढ़ महिला को दी गई सजा को कम कर दिया, जिसे अवैध 'गांजा' की व्यावसायिक मात्रा रखने का दोषी पाया गया था।
बुधियारिन बाई के साथ उसके दो बच्चों पर नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सब्स्टांसेस एक्ट 1985 (एनडीपीएस एक्ट) की धारा 20 (बी) (ii) (सी) के तहत 05 क्विंटल और 21.5 किलोग्राम अवैध 'गांजा' (कैनबिस) अपने पास रखने का आरोप लगाया गया था। दो अन्य लोगों पर भी एनडीपीएस एक्ट की धारा 27ए के तहत आरोप लगाया गया था कि उन्होंने अवैध पदार्थ पहुंचाया। निचली अदालत ने बुधियारिन बाई को दोषी ठहराया और अन्य चार लोगों को सभी आरोपों से बरी कर दिया। उसे 15 साल के कठोर कारावास और एक लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई गई थी। अभियोजन पक्ष ने चार सह-आरोपियों को बरी किए जाने के फैसले को चुनौती नहीं दी। बुधियारिन बाई द्वारा दायर अपील को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था।
वृद्ध और अनपढ़ महिला की अपील पर विचार करते हुए, जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ ने कहा कि न तो ट्रायल कोर्ट और न ही हाईकोर्ट ने इस बात पर विचार किया कि महिला अनपढ़ और एक वरिष्ठ नागरिक थी। वह वास्तव में अपने बड़े हो रहे दो बच्चों के साथ रह रही थी, लेकिन कानून से पूरी तरह से अनजान थी। उसके जीवन काल में किसी भी समय किसी भी तरह के आपराधिक मामलों में शामिल होने का कोई मामला सामने नहीं आया है।
पीठ ने कहा,
''यह देखा जा सकता है कि एनडीपीएस एक्ट की धारा 20 (बी) ((ii) (सी) के तहत ऐसे अपराध के लिए निर्धारित न्यूनतम सजा 10 साल है जिसे 20 साल तक बढ़ाया जा सकता है और 1 लाख रुपए का जुर्माना लगाया जा सकता है,जिसे बढ़ाकर 2 लाख रुपये किया जा सकता है। न्यूनतम सजा से अधिक सजा देते समय, ऐसे कारकों को ध्यान में रखा जाना है, जिन्हें एनडीपीएस अधिनियम की धारा 32 बी के तहत प्रदान किया गया है। परंतु हमने पक्षकारों के वकील की सहायता से रिकॉर्ड का अध्ययन किया है,जिसके बाद हमारा विचार है कि ट्रायल जज के साथ-साथ हाईकोर्ट ने भी एनडीपीएस अधिनियम की धारा 32 बी के तहत प्रदान किए गए उन कारकों पर ध्यान नहीं दिया जो न्यूनतम सजा से अधिक सजा देते समय ध्यान में रखे जाने चाहिए थे।''
खंडपीठ ने अपील को आंशिक तौर पर स्वीकार कर लिया और सजा को कम करके 12 साल के कठोर कारावास और एक लाख रुपये का जुर्माना कर दिया है। डिफ़ॉल्ट रूप से, छह महीने के कठोर कारावास की सजा भुगतनी होगी।
पीठ ने कहा,
हमारा सुविचारित विचार है कि एनडीपीएस एक्ट के तहत अपराध प्रकृति में बहुत गंभीर हैं और बड़े पैमाने पर समाज के खिलाफ हैं और ऐसे अभियुक्तों के पक्ष में किसी भी अधिकार का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए जो अधिनियम के तहत ऐसे अपराधों में लिप्त हैं। यह समाज के लिए एक खतरा है, एनडीपीएस एक्ट के तहत दोषी पाए जाने वाले आरोपी व्यक्तियों के प्रति कोई नरमी नहीं दिखाई जानी चाहिए। लेकिन इसे बरकरार रखते हुए, यह न्यायालय अन्य तथ्यों और परिस्थितियों से अनजान नहीं हो सकता है जैसे कि वर्तमान मामले में बताए गए हैं कि ग्रामीण पृष्ठभूमि की वृद्ध अनपढ़ महिला, जो कथित घटना के समय वरिष्ठ नागरिक थी, जो अपने पति और दो बड़े हो रहे बच्चों के साथ घर में रह रही थी, जो अवैध व्यापार में हो लिप्त सकते हैं। परंतु अभियोजन पक्ष जांच करने और एनडीपीएस एक्ट की धारा 42, 50 और 55 के तहत अपेक्षित प्रक्रियात्मक अनुपालन को ध्यान में रखने में विफल रहा है। अपीलकर्ता को सिर्फ इस कारण से दोषी ठहराया गया कि वह उस मकान में रह रही थी लेकिन साथ ही इस तथ्य को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया गया कि अन्य सह-आरोपी भी उसी घर में रह रहे थे और उनका क्या व्यापार था, और वे कौन थे जो अवैध व्यापार में शामिल थे और साइकोट्रॉपिक सब्स्टांसेस की आपूर्ति प्रदान करते थे, अभियोजन पक्ष ने कभी इन तथ्यों की जांच करने की परवाह नहीं की ...
..हम इस प्रश्न की और अधिक जांच नहीं करने जा रहे हैं, लेकिन मामले की समग्रता और पृष्ठभूमि के तथ्यों को ध्यान में रखते हुए, जो रिकॉर्ड में आए हैं कि वह घटना की तारीख, यानी 15 जनवरी 2011 को एक अनपढ़ वरिष्ठ नागरिक थी, जिसका कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है और वह ग्रामीण पृष्ठभूमि से है। जो कानून और उसके आसपास क्या हो रहा है,इससे पूरी तरह अनजान थी। इन सभी आकस्मिक तथ्यों पर अपीलकर्ता को सजा सुनाते समय निचली अदालत द्वारा विचार नहीं किया गया।
मामले का विवरण-
केस टाइटल-बुधियारिन बाई बनाम छत्तीसगढ़ राज्य
साइटेशन-2022 लाइव लॉ (एससी) 667
केस संख्या- सीआरए 1218/2022
आदेश की तारीख- 10 अगस्त 2022
कोरम- जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस सीटी रविकुमार
हेडनोट्स
नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सब्स्टांसेस एक्ट 1985, धारा 20 (बी) ((ii) (सी), 32बी - न्यूनतम सजा से अधिक सजा देते समय, जिन कारकों को ध्यान में रखा जाना है उनका उल्लेख एनडीपीएस एक्ट की धारा 32बी के तहत किया गया है - अभियुक्त की वृद्धावस्था, जो एक गरीब अनपढ़ महिला है जो परिणामों से पूरी तरह अनजान है - सजा कम कर दी गई है।
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