'चुनाव ड्यूटी के दौरान COVID19 से संक्रमित होने वाले मतदान अधिकारियों को कोरोना योद्धाओं के समान माना जाए': तेलंगाना हाईकोर्ट
तेलंगाना हाईकोर्ट ने कहा है कि राज्य में हाल के नगरपालिका चुनावों के दौरान COVID19 से संक्रमित होने वाले मतदान अधिकारियों को कोरोना-योद्धाओं के समान माना चाहिए।
मुख्य न्यायाधीश हिमा कोहली और न्यायमूर्ति बी विजयसेन रेड्डी की खंडपीठ ने कहा कि राज्य को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसे मतदान अधिकारियों को पर्याप्त चिकित्सा उपचार और ऐसे सभी लाभ दिए जाएं जो एक कोरोना-योद्धा को दिए जाते हैं।
बेंच एक स्वतःसंज्ञान मामले की सुनवाई कर रही है,जिसमें कोरोना से संबंधित सभी मुद्दों पर विचार किया जा रहा है। इसी मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह निर्देश दिया है।
सुनवाई के दौरान, अधिवक्ता पुजिथा गोरंटला ने पीठ को सूचित किया कि नगरपालिका चुनावों के दौरान जिन शिक्षकों को पोलिंग ड्यूटी का काम सौंपा गया था,उनमें से लगभग 500 शिक्षकों का कोरोना टेस्ट पाॅजिटिव आया है और उनमें से 15 वायरस के कारण मर चुके हैं।
उन्होंने आग्रह किया कि ऐसे शिक्षकों के परिवारों को मुआवजा देने के लिए निर्देश पारित किया जाए, जैसा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने किया था।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा था कि किसी ने भी चुनाव के दौरान स्वेच्छा से सेवाएं नहीं दी थी और राज्य के अधिकारियों ने महामारी के खतरे से अच्छी तरह वाकिफ होने के बाद भी मतदान अधिकारियों को चुनाव ड्यूटी पर जाने के लिए मजबूर किया था।
इस प्रकार, राज्य को यूपी पंचायत चुनाव के बाद कोरोना महामारी के कारण मरने वाले मतदान अधिकारियों के परिवारों को मुआवजे की राशि के रूप में 1 करोड़ रुपये देने चाहिए।
यह भी कहा गया कि यूपी सरकार द्वारा मुआवजे के लिए घोषित 30,00,000 रुपये की राशि बहुत कम है।
इन सबमिशन को ध्यान में रखते हुए डिवीजन बेंच ने आदेश दिया,
''राज्य को यह सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कदम उठाने का निर्देश दिया जाता है कि जो लोग चुनाव ड्यूटी के दौरान संक्रमित हुए हैं, उन्हें पर्याप्त उपचार दिया जाए और उनके साथ कोरोना योद्धाओं के समान व्यवहार किया जाए। उन्हें वे सभी लाभ दिए जाएं, जिनका एक कोविड योद्धा हकदार होता है।''
अधिवक्ता पुजिथा ने अदालत से यह भी आग्रह किया कि स्वास्थ्य, चिकित्सा और परिवार कल्याण विभाग को निर्देश दिया जाए कि उन बच्चों को सुरक्षा दी जाए, जो अपने माता-पिता दोनों के निधन के कारण महामारी के दौरान अनाथ हो गए हैं।
उन्होंने दलील दी कि अवैध तरीके से ऑनलाइन बच्चों को गोद दिया जा रहा है और इससे मानव तस्करी के मामले बढ़ सकते हैं।
कोर्ट ने विभाग से कहा है कि वह एक हलफनामा दाखिल करें और बताएं कि किस तरह से ऐसे बच्चों का पुनर्वास किया जा रहा है?
गौरतलब है कि तेलंगाना हाईकोर्ट ने महामारी के बीच चुनाव कराने के खिलाफ राज्य के अधिकारियों को आगाह किया था। कोर्ट ने कहा था कि इस बात की वास्तविक आशंका है कि 30 अप्रैल को होने वाले चुनाव ''सुपर स्प्रेडर्स'' साबित होंगे और चुनाव के एक सप्ताह या दस दिनों के बाद मामलों में विस्फोट हो जाएगा।
आदेश के साथ खबर को अपडेट कर दिया जाएगा।