बिहार में जज पर पुलिस का हमला : पटना हाईकोर्ट ने जांच को आपराधिक जांच विभाग को ट्रांसफर किया

Update: 2021-12-04 05:45 GMT

पटना हाईकोर्ट ने अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश के साथ मारपीट करने वाले पुलिसकर्मियों के मामले की जांच आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) को स्थानांतरित करने की अनुमति दे दी।

न्यायमूर्ति राजन गुप्ता और न्यायमूर्ति मोहित कुमार शाह ने भी निर्देश दिया कि जांच एक ऐसे अधिकारी द्वारा की जानी चाहिए जो पुलिस अधीक्षक स्तर से नीचे का न हो। उक्त अधिकारी अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक के प्रत्यक्ष पर्यवेक्षण में होगा, जो सीआईडी ​​का प्रमुख होता है।

अदालत ने सीआईडी ​​को बिहार के डीजीपी संजीव कुमार सहगल के निर्देशों के आधार पर महाधिवक्ता की दलील पर जांच करने की अनुमति दी। अदालत को यह भी आश्वासन दिया गया कि पुलिस अधीक्षक मधुबनी द्वारा जांच में कोई हस्तक्षेप नहीं किया जाएगा।

कोर्ट ने पेपर बुक के संबंध में एक और निर्देश भी दिया। इसमें पुलिस द्वारा प्रस्तुत की गई रिपोर्ट भी शामिल है कि इसे कोर्ट मास्टर द्वारा एक सीलबंद लिफाफे में एमिक्स क्यूरी को प्रस्तुत किया जाना चाहिए।

जांच का तबादला दो दिसंबर से प्रभावी हो गया है।

हाईकोर्ट की पीठ ने अपने आदेश में कहा,

"अगली सुनवाई की तारीख तक अदालत को आगे की जांच की प्रगति से अवगत कराया जाएगा। रिपोर्ट फिर से एक सीलबंद लिफाफे में प्रस्तुत की जाएगी।"

मामले को फिर से आठ दिसंबर, 2021 के लिए सूचीबद्ध किया गया है। हालांकि, पिछली सुनवाई के विपरीत डीजीपी को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने से छूट दी गई।

पिछली सुनवाई पर बिहार के डीजीपी ने सीलबंद लिफाफे में हाईकोर्ट को स्टेटस रिपोर्ट सौंपी थी।

न्यायमूर्ति राजन गुप्ता ने रिपोर्ट का अवलोकन किया और इसे न्यायिक रजिस्ट्रार की सुरक्षित हिरासत में रखने का निर्देश दिया। इसके अतिरिक्त, वरिष्ठ अधिवक्ता मृगांक मौली को अदालत की सहायता के लिए एमिक्स क्यूरी के रूप में नियुक्त किया गया था।

पटना हाईकोर्ट ने 18 नवंबर, 2021 को झंझारपुर में एडीजे अविनाश कुमार के कक्षों में हुई भयानक घटना का स्वत: संज्ञान लिया था। जिला एवं सत्र न्यायाधीश, मधुबनी से घटनाओं के क्रम का वर्णन करते हुए एक पत्र प्राप्त होने के बाद अदालत ने इस घटना का संज्ञान लिया था।

पटना हाईकोर्ट को प्राप्त हुए पत्र के अनुसार, घोघरडीहा के दो पुलिसकर्मियों ने न्यायाधीश पर शारीरिक हमला किया था। यहां तक ​​कि न्यायाधीश द्वारा उनके मौखिक दुर्व्यवहार पर ध्यान न देने पर उस पर बंदूक भी तान ली थी।

उसी घटना का स्वत: संज्ञान लेते हुए अदालत ने न्यायाधीश पर इस तरह के हमले की गंभीरता के बारे में अपना दुख व्यक्त किया, जैसा कि पत्र में बताया गया।

अदालत ने अपने आदेश में नोट किया,

"प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि यह प्रकरण न्यायपालिका की स्वतंत्रता को खतरे में डालता है। इस प्रकार, हम प्रतिवादी नंबर दो से पांच अर्थात मुख्य सचिव, बिहार सरकार, पटना, पुलिस निदेशक -महाप्र

बंधक, बिहार, प्रमुख सचिव, गृह विभाग, बिहार सरकार, पटना और पुलिस अधीक्षक, मधुबनी को नोटिस जारी करना उचित समझते हैं।"

जिला एवं सत्र न्यायाधीश के पत्र में यह भी बताया गया कि एडीजे को और नुकसान से बचाते हुए कुछ वकील और अदालत के कर्मचारी समय पर मौके पर पहुंचे।

केस टाइटल: कोर्ट ने अपने स्वयं के प्रस्ताव पर पत्र dt. 18.11.2021 जिला और सत्र न्यायाधीश मधुबनी बनाम बिहार राज्य और अन्य।

केस नंबर: सीडब्ल्यूजेसी-19402/2021

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