पुलिस की कहानी का सीसीटीवी फुटेज से मेल नहींं : दिल्ली हाईकोर्ट ने दंगों के आरोपी को जमानत दी
दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार (12 नवंबर) को उत्तर-पूर्वी दिल्ली (फरवरी 2020) दंगे के मामले में एक आरोपी सईद इफ्तिखार को जमानत दे दी।
न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत की खंडपीठ ने इस तथ्य को ध्यान में रखा कि जब उसे (याचिकाकर्ता / अभियुक्त सैय्यद इफ्तिखार को) गिरफ्तार किया गया था, तो वह चश्मा पहने हुए था; हालांकि, सीसीटीवी फुटेज में उसे चश्मा पहने हुए नहीं देखा गया।
पृष्ठभूमि
दिल्ली उच्च न्यायालय याचिकाकर्ता / अभियुक्त सैय्यद इफ्तिखार द्वारा धारा 439 सीआरपी के तहत दायर याचिका पर पुलिस थाना भजनपुरा में दर्ज धारा 147/148/149/436/380 आईपीसी के तहत दंडनीय अपराध के लिए एफआईआर नंबर -65 / 2020 के तहत नियमित जमानत देने के लिए सुनवाई कर रहा था।
कोर्ट का आदेश
उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा,
"यह विवाद में नहीं है कि याचिकाकर्ता की दृष्टि कमजोर है (-3.75) और जब उसे गिरफ्तार किया गया तो वह चश्मा पहने हुए था।"
हालांकि, अदालत ने आगे उल्लेख किया कि याचिकाकर्ता को सह-अभियुक्त अली हसन के साथ सीसीटीवी फुटेज के आधार पर गिरफ्तार किया गया था "लेकिन यह तथ्य स्वीकार किया गया है कि सीसीटीवी फुटेज में याचिकाकर्ता चश्मा नहीं पहने हुए है।"
न्यायालय ने यह भी कहा,
"कथित घटना दिनांक 24.02.2020 को 21: 31.50 बजे की है। इस प्रकार, यह विश्वास नहीं किया जा सकता है कि इस तरह की कमजोर दृष्टि वाले व्यक्ति को रात में बिना चश्मे के स्पष्ट दृष्टि होगी।
इसके अलावा, अदालत ने कहा कि सीडीआर रिकॉर्ड में नहीं थाजिससे यह स्थापित किया जा सके कि याचिकाकर्ता स्थल पर उपलब्ध था।"
इसके अलावा, इस तरह के तथ्यों को ध्यान में रखते हुए कि याचिकाकर्ता 11.04.2020 के बाद से हिरासत में था, न्यायालय ने पाया कि याचिकाकर्ता जमानत का हकदार है।
तदनुसार, उसे ट्रायल कोर्ट / ड्यूटी जज की संतुष्टि के लिए एक ज़मानतदार पेश करने और 15,000 / - रुपए की राशि का एक निजी बॉन्ड प्रस्तुत करने पर जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया।
केस का शीर्षक - सैय्यद बनाम राज्य [जमानत याचिका 2848/2020]
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