मद्रास हाईकोर्ट की जुर्माना लगाने की चेतावनी के बाद वादी ने हिंसक फिल्म दृश्यों के लिए वैधानिक चेतावनी की मांग वाली याचिका वापस ली

Update: 2022-06-08 09:55 GMT

मद्रास हाईकोर्ट

एक वादी ने बुधवार को मद्रास हाईकोर्ट में अपनी याचिका वापस ले ली, जिसमें केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड को यह निर्देश देने की मांग की गई थी कि वह आने वाली फिल्मों में एक नई वैधान‌िक चेतावनी प्रसारित करे कि "इस फिल्म में इस्तेमाल किए गए चाकू और सिकल कागज से बने हैं और रंगीन पानी को खून के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।"

चीफ जस्टिस मुनीश्वर नाथ भंडारी और जस्टिस एन माला की खंडपीठ द्वारा याचिका को जुर्माने के साथ खारिज करने की चेतावनी के बाद याचिका वापस ले ली गई। पीठ ने कहा कि याचिका केवल प्रचार के लिए और बिना किसी सामग्री के पेश की गई थी।

व्यक्तिगत रूप से पक्षकार एस गोपीकृष्णन ने अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया कि स्कूल जाने वाले छात्र स्कूल जाते समय किताबों के बजाय अपने बैग में हथियार और चाकू ले जा रहे हैं।

अदालत ने कहा, "क्या आप एक ऐसा उदाहरण बता सकते हैं, जहां एक बच्चा किताबों के बजाय चाकू ले गया हो? यह दिखाने के लिए कोई दस्तावेज नहीं दिया गया है कि बच्चे किताबों के बजाय हथियार ले जा रहे हैं।"

वादी ने अपने हलफनामे में कहा था कि 16 से 35 वर्ष की आयु के युवा फिल्मों से प्रभावित होकर गंभीर अपराधों में शामिल हो रहे हैं। आरोप लगाया गया कि ये युवा फिल्में देखने के बाद वास्तविक जीवन में भी एक्टर्स की नकल करने की कोशिश करते हैं और गंभीर प्रकृति के अपराध करते हैं।

उन्होंने चेन्नई और दिल्ली में हाल की घटनाओं का भी उदाहरण दिया। चेन्नई में कॉलेज जाने वाले छात्र चाकुओं, दरांती से आपस में मारपीट की। दिल्ली में फिल्म 'पुष्पा' देखने के बाद कुछ युवक एक हत्या में शामिल रहे।

इस बात पर प्रकाश डालते हुए कि सीबीएफसी द्वारा प्रमाणन अपील योग्य है, अदालत ने सुझाव दिया कि यदि वादी को कुछ फिल्मों के प्रमाणन के संबंध में कोई शिकायत है, तो वह उपयुक्त प्राधिकारी के समक्ष इसे चुनौती दे सकता है।

केस टाइटल: एस गोपीकृष्णन बनाम क्षेत्रीय अधिकारी, सीबीएफसी और अन्य

केस नंबर: WP NO 11733 Of 2022

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