मुंबई के पासपोर्ट कार्यालय में 'आरोग्य सेतु' के डी-फैक्टो को चुनौती देते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर

Update: 2020-12-11 12:24 GMT

पासपोर्ट सेवा केंद्र, मुंबई के अधिकारियों द्वारा आरोग्य सेतु को हटाने की चुनौती देते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई है।

सॉफ्टवेयर फ्रीडम लॉ सेंटर, इंडिया और एडवोकेट अदिति सक्सेना के माध्यम से तान्या महाजन (पेशे से एक आर्टिटेक्ट) द्वारा यह याचिका दायर की गई है।

याचिकाकर्ता का मामला

यह याचिकाकर्ता का मामला है, जबकि उत्तरदाता (पासपोर्ट सेवा केंद्र, मुंबई के अधिकारी) यह कहते हैं कि आरोग्य सेतु का उपयोग उनकी वेबसाइट पर स्वैच्छिक है, किन्तु व्यावहार में आरोग्य सेतु के उपयोग को अनिवार्य बनाया गया है और इस तरह से उत्तरदाताओं ने मोबाइल एप्लिकेशन में आरोग्य सेतु के इस्तेमाल पर डी-फैक्टो थोपा है।

याचिका में कहा गया है कि उनके मोबाइल में आरोग्य सेतु एप न होने के कारण याचिकाकर्ता को पासपोर्ट सेवा केंद्र, मुंबई के अधिकारियों द्वारा प्रवेश और सेवा से वंचित किया जा रहा है।

याचिका में यह भी दावा किया है कि प्रतिवादियों द्वारा आरोग्य सेतु का डी-फौक्टो थोप कर याचिकाकर्ता की निजता का उल्लंघन किया गया और यह सुप्रीम कोर्ट द्वारा न्यायमूर्ति के.एस. पुट्टास्वामी बनाम भारत संघ [(2017) 10 एससीसी 1] में दिए गए फैसले में प्रतिपादित सिद्धांतों का भी उल्लंघन है।

यह तर्क दिया गया है कि निजता पर अतिक्रमण को उचित ठहराने के लिए एक कानून अस्तित्व में होना चाहिए।

याचिका में कहा गया है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय के दिशानिर्देशों के अनुसार, आरोग्य सेतु ऐप के इस्तेमाल को स्वैच्छिक किया गया है और इसे डाउनलोड सिर्फ सलाह दी गई है। इसके बावजूद पासपोर्ट सेवा केंद्र, मुंबई के अधिकारी अपने व्यवहार से आरोग्य सेतु ऐप के इस्तेमाल को अनिवार्य बता रहे हैं।

उल्लेखनीय रूप से तर्क दिया गया है कि उत्तरदाताओं का कार्य केंद्र सरकार द्वारा कर्नाटक हाईकोर्ट में अनिवार ए अरविंद बनाम गृह मंत्रालय (रिट याचिका) (जीएम-आरईएस) संख्या 484483/2020 में लिया गया है। ) मामले में दिए गए केंद्रीय गृह मंत्रालय के दिशानिर्देशों का पालन करना है, जहां गृह मंत्रालय ने अपने रिकॉर्ड पर यह कहा है कि आरोग्य सेतु का इस्तेमाल अनिवार्य नहीं है।

उल्लेखनीय है कि उपर्युक्त मामले में कर्नाटक उच्च न्यायालय ने आदेश दिया था कि राज्य या केंद्र सरकार या उनकी कोई भी एजेंसी या राज्य साधन किसी ऐसे नागरिक को लाभ या सेवा से इनकार नहीं कर सकते, जिनके पास उनकी डिवाइस में आरोग्य सेतु डाउनलोड नहीं है।

याचिका में यह भी कहा गया है कि आरोग्य सेतु ऐप उपयोगकर्ताओं के स्थान की जानकारी, स्वास्थ्य डेटा और व्यक्तिगत जानकारी एकत्र करता है और इस तरह के डी-फैक्टो अनिवार्य संग्रह और सूचना के प्रसंस्करण को सक्षम कानून के बिना नहीं किया जा सकता है।

याचिका में तर्क दिया गया है कि डी-फैक्टो नागरिक की व्यक्तिगत स्वायत्तता का उल्लंघन करता है और यही सुप्रीम कोर्ट द्वारा मेनका गांधी बनाम भारत संघ (1978 AIR SC 597) में घोषित कानून का उल्लंघन है।

याचिका में की गई प्रार्थना

याचिका में उत्तरदाताओं को निर्देश मांग की गई हैं कि नागरिक स्वैच्छिक से आरोग्य सेतु का उपयोग करें और आरोग्य सेतु एप को डाउनलोड नहीं करने के लिए याचिकाकर्ता को किसी भी सेवा से वंचित न किया जाए।

इसके अलावा, इस मामले की सुनवाई और अंतिम निस्तारण लंबित रहते हुए न्यायालय के समक्ष यह प्रार्थना की गई है कि उत्तरदाताओं को बिना आरोग्य सेतु के अपने मोबाइल डिवाइस में डाउनलोड किया जाए पासपोर्ट सेवा केंद्र, मलाड में याचिकाकर्ता को अपने मोबाइल में आरोग्य सेतु एप को बिना डाउलोड किए प्रवेश की अनुमति देने के लिए निर्देशित किया जाए।

कोर्ट का आदेश

बुधवार (09 दिसंबर 2020) को सुनवाई के लिए याचिका को सूचीबद्ध किया गया और उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा।

न्यायमूर्ति उज्जल भुयन और न्यायमूर्ति अभय आहूजा की खंडपीठ ने नोटिस जारी कर उत्तरदाताओं को अगली तारीख से पहले अपना जवाब दाखिल करने को कहा है।

मामले को गुरुवार (07 जनवरी 2021) को आगे की सुनवाई के लिए पोस्ट किया गया है।

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