कलकत्ता हाईकोर्ट में 'बोल्ला काली पूजा' पर 10,000 से अधिक बकरियों के की बली को चुनौती देने वाली याचिका दायर
कलकत्ता हाईकोर्ट ने गुरुवार को आगामी 'बोल्ला काली महोत्सव' के लिए पश्चिम बंगाल राज्य में '10000 से अधिक बकरियों' की बली को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई की।
चीफ जस्टिस टीएस शिवगणनम और जस्टिस हिरण्मय भट्टाचार्य की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता के वकील से सवाल किया कि क्या पश्चिम बंगाल राज्य में बकरी वध पर कोई प्रतिबंध है. या इसे प्रतिबंधित करने वाला कोई अधिनियम है।
यह तर्क दिया गया,
"कोई शिकायत नहीं है, लेकिन पश्चिम बंगाल पशु वध नियम, 1950 जैसे कुछ नियम हैं, जिनके लिए प्रत्येक बकरी को पशु डॉक्टर द्वारा प्रमाणित करना आवश्यक है कि वह बली के लिए उपयुक्त है, क्योंकि उनका कोई अन्य उद्देश्य नहीं होगा।"
वकील ने प्रस्तुत किया कि बकरियों की बली "बोल्ला काली पूजा" के अवसर पर दी जाती है और अदालत के आदेशों और केंद्र सरकार द्वारा पारित सर्कुलर के कारण पिछले दो वर्षों से इस तरह की बली को स्थगित रखा गया है।
राज्य भर में बड़े मंदिर हैं, एक दिनाजपुर में बोल्ला काली मंदिर है, जिसने घोषणा की है कि वे एक बार में 10000 बकरियों की बली देना चाहते हैं। राज्य भर में ऐसे कई मंदिर हैं, जहां वे भगवान की भक्ति में बकरों की बलि देंगे।''
याचिका पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने इसे कल सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया। साथ ही याचिकाकर्ता के वकील से सभी उत्तरदाताओं की सेवा करने और कल (शुक्रवार) की सुनवाई में उनकी उपस्थिति सुनिश्चित करने को कहा।