जामिया की कुलपति के रूप में नज़मा अख्तर की नियुक्ति को HC में चुनौती, दिल्ली हाईकोर्ट ने जारी किया नोटिस
दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार और जामिया मिलिया विश्वविद्यालय को उस याचिका पर नोटिस जारी किया है, जिसमें विश्वविद्यालय की वर्तमान कुलपति नज़मा अख्तर की नियुक्ति की चुनौती दी गई है।
न्यायमूर्ति एके चावला की एकल पीठ ने केंद्रीय सतर्कता आयोग (सी.वी.सी), विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यू.जी.सी) और खुद कुलपति को भी नोटिस जारी किया है।
जेएमआई के पूर्व छात्र एम. एहतेशाम-उल-हक द्वारा दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि सुश्री अख्तर की नियुक्ति इस कारण से अमान्य थी, कि जिस सर्च कमेटी ने पद के लिए संभावित उम्मीदवारों का चयन किया था, उस कमेटी गठन अवैध रूप से किया गया था। वहीं शुरुआत में अख्तर के नाम को सी.वी.सी ने भी मंजूरी देने से मना कर दिया था।
याचिका में कहा गया है कि
'यह प्रस्तुत किया गया है कि नजमा अख्तर की नियुक्ति की पूरी प्रक्रिया, शक्ति का प्रमुख प्रयोग और खुला उल्लंघन और जामिया मिलिया इस्लामिया अधिनियम, 1988 के वैधानिक प्रावधानों का पूर्ण रूप से पालन न करने की एक कवायद है।'
उनकी नियुक्ति को अवैध और मनमाना बताते हुए, याचिका में दावा किया गया है कि सी.वी.सी ने इससे पहले नजमा अख्तर को सतर्कता मंजूरी प्रमाणपत्र देने से इनकार कर दिया था।
'एम.एच.आर.डी के प्रशासनिक नियंत्रण के अंतर्गत आने वाले संगठनों/ संस्थानों/ विश्वविद्यालयों में सेवानिवृत्ति के बाद की किसी भी असाइनमेंट/ पुनः रोजगार के लिए डॉ नजमा अख्तर के नाम पर विचार न किया जाए'
हालांकि, मानव संसाधन विकास मंत्रालय के हस्तक्षेप के बाद इसे वापस ले लिया था। याचिकाकर्ता का तर्क है कि इस तरह का खंडन कानून के खिलाफ है। याचिकाकर्ता के लिए अधिवक्ता मोबाशीर सरवर उपस्थित हुए।