'नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के कर्तव्य से राज्य पीछे नहीं हट सकता': हाईकोर्ट ने एसएसपी को सेम सेक्स कपल की सुरक्षा अनुरोध पर विचार करने को कहा
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में सेम सेक्स कपल की सुरक्षा से जुड़ा एक केस आया। कोर्ट ने मामले में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, यूटी चंडीगढ़ को निर्देश दिया कि वे समलैंगिक जोड़े की कथित खतरे की धारणा की जांच करें और अगर आवश्यक हो तो उन्हें सुरक्षा प्रदान करें।
कोर्ट ने आगे कहा कि राज्य सरकार अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के अपने कर्तव्य से पीछे नहीं हट सकती है।
जस्टिस गुरविंदर सिंह गिल की पीठ ने ये आदेश दो महिलाओं (21 और 24 वर्ष) की याचिका पर पारित किया। याचिकाकर्ताओं ने निजी प्रतिवादियों के खिलाफ सुरक्षा की मांग करते हुए अदालत का रुख किया था। याचिकाकर्ताओं के परिवार वाले लिव-इन रिलेशनशिप का विरोध कर रहे हैं और सेम सेक्स मैरिज करने से रोक रहे हैं।
उनके वकील ने अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया कि दोनों याचिकाकर्ता शिक्षित हैं। प्राइवेट नौकरी कर रहे हैं और पिछले लगभग 3 वर्षों से एक-दूसरे को जानते हैं, एक सामान्य कार्यस्थल पर काम कर रहे हैं।
यह आगे कहा गया कि एक-दूसरे के प्रति उनके प्रेम के कारण, वे एक साथ लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहे हैं, लेकिन विवाह को संपन्न नहीं किया है, क्योंकि 'सेम सेक्स मैरिज' भारत में अभी तक वैध नहीं है।
शुरुआत में, पीठ ने कहा कि भारत के संविधान का अनुच्छेद 21 विशेष रूप से प्रदान करता है कि कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अलावा किसी भी व्यक्ति को उसके जीवन या व्यक्तिगत स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जा सकता है और राज्य अपने नागरिक की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कर्तव्यबद्ध है। ।
हालांकि न्यायालय ने उन कारणों की वैधता पर टिप्पणी करने से परहेज किया, जो याचिकाकर्ताओं को उनकी सुरक्षा या उनके संबंधों के संबंध में आशंका पैदा करते हैं, कोर्ट ने राज्य को याद दिलाया कि वह अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के अपने कर्तव्य से पीछे नहीं हट सकता है, उन्हें किसी भी तरह का नुकसान होने की वास्तविक आशंका है।
इस प्रकार, याचिकाकर्ताओं के बीच संबंधों की प्रकृति या औचित्य या वैधता के संबंध में टिप्पणी किए बिना, अदालत ने याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व प्राप्त करने के लिए प्रतिवादी नंबर 2 यानी वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, यूटी चंडीगढ़ को निर्देश के साथ तत्काल याचिका का निपटारा कर दिया। याचिकाकर्ताओं की कथित खतरे की धारणा के संबंध में जांच की गई।
अदालत ने आगे निर्देश दिया कि अगर ये पाया जाता है कि याचिकाकर्ताओं के जीवन और स्वतंत्रता के लिए वास्तविक खतरा है, तो कानून के तहत आवश्यक कदम जल्द से जल्द उठाए जाएं ताकि ये सुनिश्चित किया जा सके कि याचिकाकर्ताओं को कोई नुकसान न हो।
केस टाइटल - XXX और दूसरा बनाम यूटी राज्य चंडीगढ़ और अन्य